17 नवंबर को भोपाल में आदिवासी अधिकार हुंकार रैली 

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17 नवंबर को भोपाल में आदिवासी अधिकार हुंकार रैली 


संवैधानिक संकट के दौर से गुजर रहा आदिवासी क्षेत्र


 3  नवम्बर अधिकार हुंकार रैली के लिये तय की गई रणनीति



 संवाददाता बेतूल- आदिवासी संगठन और जन आंदोलन के संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में गत दिवस रविवार को रैन बसेरा में बैठक आयोजित की गई। बैठक में चार जिलों के प्रमुख कार्यकर्ता शामिल हुए। बैठक के दौरान आगामी 3 नवंबर को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर रैली निकालकर विभिन्न मांगो का ज्ञापन प्रशासन को सोपे जाने एवं 17 नवंबर को भोपाल में आदिवासी अधिकार हुंकार  यात्रा निकाले जाने की रणनीति तैयार की गई। बैठक को संबोधित करते हुए एडव्होकेट राकेश महाले ने कहा कि देश को आजादहए 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी आदिवासियों में शामिल हर जाति समाज को सभी सरकारों ने अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा है। अब सरकार नए-नए षड़यंत्र रचकर उन संवैधानिक अधिकारों को खत्म कर आदिवासियों को जल जंगल जमीन से बेदखल करने की तैयारी कर रही है। बैठक में गोंडवाना समग्र काति आंदोलन के गुलजार सिंह मरकार, श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेन्द्र गढ़वाल, कल्लू सिंहईके, फागाराम भाई उपस्थित थे। आदिवासी अधिकार हुंकार यात्रा के उद्देश्य को गुजर रहा आदिवासी रखते हुए श्री महाले ने कहा कि यह आदिवासी क्षेत्र संवैधानिक संकटों से पांचवीं गुजर रहा है। संविधान में पांचवीं प्रावधानों अनुसूची, पेसा कानून, वन अधिकार कानून, आदिवासी मंत्रणा परिषदतथा प्राकृतिक संसाधनों का नियंत्रण व प्रबंधन जैसे प्रावधानों के बाद भी उसका सही परिपालन नहीं करते हुए बेदखली एवं जबरन विस्थापन जेसी कार्यवाही जारी है। मध्यप्रदेश के वन निस्तारहक विभाग द्वारा भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा (4) के अन्तर्गत अधिसूचित वनखंडो के 22 वन मंडलों में लगभग 27 हजार 39 हे. आदिवासियों को निजी भूमि को अपने वार्षिक कार्य योजना में शामिल कर लिया है, जिसका कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। 


क्षेत्र यह हैं प्रमुख मांग-  पांचवीं अनूसूची एवं पेसा कानूनके प्रावधानों के अनुसार (प्राकृतिक पीपुल्स संसाधनों का नियंत्रण एवं प्रबंधनका अधिकार ग्रामसभा को दिया गया है।) 100755 व कानूनकी मंशाअनुरूप कार्यवाही सुनिक्षित की जावे वन अधिकार कानून-2006 के तहत वनभूमि पर काबिजों का व्यक्तिगत वन अधिकार, निस्तार हक एवं सामुदायिक वन संसाधनों पर समाज के अधिकार को पारदर्शी एवं विधि-सम्मत तरीके से मान्यताकी कार्यवाही सनिमितकी जाए। राजस्व विभाग के विवाद में उलझी है। इस संकट को खत्म करने के लिए समाजिक संगठनों को एकजुट करना एवं समुदाय में जागृति लाना इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है।


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