17 नवम्बर को भोपाल में जुटेंगें दो लाख से अधिक आदिवासी

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17 नवम्बर को भोपाल में जुटेंगें दो लाख से अधिक आदिवासी


आदिवासीयों नें अपनें अधिकारों के लिए भरी हुंकार


  


बडी संख्या में रैली के साथ कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा 



 भोपाल- जल जंगल और जमीन के मुद्दे पर पहला अधिकार आदिवासीयों का है। आदिवासी ही भारत के मुल निवासी हैं। आदिवासी प्रकृति पूजक रहे हैं। आज उन्हें ही उनके अधिकारों से वंचित कर अपने ही घरों से निकाला जा रहा है। जल जंगल जमीन बचाओ साझा मंच के साथ ही आदिवासीयों के हक और अधिकार के लिए संघर्षरत प्रदेश भर के 100 से अधिक आदिवासी संगठनों नें अपने जिला मुख्यालयों पर सभा व रैली कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा। सभी संगठनों के साथ 17 नवम्बर को राजधानी भोपाल में प्रदेश के आदिवासी अपनें अधिकारों के लिए बडी संख्या में एकत्र होंगें। अनुमानतः यह संख्या दो लाख से अधिक होगी। 
         जानकारी देते हुए यात्रा प्रदेश समन्वयक व मीडिया प्रभारी समाधान पाटिल ने बताया कि मध्यप्रदेश में 2 अक्तूबर से 17 नवम्बर 2019 तक आदिवासी क्षेत्रों की विभिन्न समस्याओं को लेकर अलग अलग जिलों में आदिवासी हुंकार यात्रा के आयोजन किया गया है। जिसके अन्तर्गत आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में 3 नवम्बर को मुख्यालय में आदिवासी अधिकार हुंकार रैली का आयोजन किया गया । ज्ञात हो कि मंडला जिला के विभिन्न समाजिक संगठनों द्वारा पांचवीं अनुसूची एवं पेसा कानून ;आदिवासी क्षेत्रों के लिये विशेष वयवस्थाद्ध के क्रियान्वयनए वन अधिकार कानून के अन्तर्गत पात्र व्यक्ति को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक अधिकार सुनिश्चित करनेए विकास परियोजना एवं पर्यटन के नाम पर  विस्थापन का विरोध और भ्रष्टाचार एवं बेरोजगारी के खिलाफ आवाज उठा रहते रहे हैं।परन्तु इसको लेकर ठोस कार्यवाही न होने के कारण समुदाय में आक्रोश व्याप्त है ।
                          जेल ग्राउंडए मंडला में सभा का आयोजन किया गया ।इस सभा को समाजिक मुखिया एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा संबोधित किया गया । विचारों के दौरान विधायक बिछिया नारायण पट्टा ने कहा कि शासन द्वारा आदिवासी अंचलों में ही विभिन्न परियोजनायों को लगाने का कार्य किया जा रहा है जोकि गलत है आज जिन क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय बसा हैं जल जंगल वंही संरक्षित हैं। वास्तव में प्रकृति के असल प्रेमी आदिवासी समुदाय ही है। जिनमागों को लेकर संघर्ष किया जा रहा है इसे निरंतर करते रहने की आवश्यकता हमें संख्या की चिंता न करते हुए लड़ाई को आगे बढ़ाने में निश्चित सफलता मिलेगी और जनप्रतिनिधि होने के नाते मैं हमेशा इस संघर्ष में साथ हूं हर रूप में सहयोग करने को तत्पर खड़ा रहूंगा। जीत संघर्ष की सुनिष्चित है।
                                विधायक निवास डॉ अशोक मर्सकोले ने कहा जितने भी परियोजना सरकार की जमीन में आई चाहे बरगी परियोजनाए कान्हा नेशनल पार्कए मनेरी औद्योगिक क्षेत्र जैसी योजनाएं सरकार द्वारा स्थापित की गई बड़े स्तर में यँहा के बाशिंदे लोगों को विस्थापित किया गया परंतु उसके बाद विस्थापितों का क्या हुआ कोई पूछने वाला नहीं है इन्हीं सब के दर्द को सहते हुए आज सामाजिक संगठनों ने अपने  जनमांगो की लड़ाई बड़े स्तर में शुरू की हुई। धरातल में पांचवी अनुसूचीए छठवीं अनुसूची का परिपालन  वन अधिकार अधिनियम  2006 आदी का जमीन में क्रियान्वयन कितना हो रहा है इन सभी बातों की चिंता करने की आवश्यकता है जनप्रतिनिधि होने के नाते आमजन के प्रत्येक हित अधिकार की लड़ाई में साथ हूँ। सरकार की योजनाएं सही स्थिति और सही व्यक्ति को सही समय पर मिले जिन बातों को सरकार के समक्ष भी बात रखा गया है। किसी भी परियोजना का स्थापना स्थानीय लोगों की आवश्यकता के आधार पर होनी चाहिए  ना कि प्रस्तावित चुटका परमाणु परियोजनाए राजा दलपत शाह अभ्यारण जैसे परियोजनाओं के नाम थोपा जाना चाहिए। स्थानीय आम सहमति के बिना किसी तरह की विस्थापन बिल्कुल गलत है। 
                                 इंजीनियर भूपेंद्र वरकड़े उपाध्यक्ष जनपद पंचायत ने कहा इतिहास गवाह है आदिवासी समुदाय के ऊपर निरंतर शोषण होता रहा है सरकारें चाहे जो भी बना शोषण कभी भी इस समुदाय के प्रति नहीं रुका आज भी हालात वैसे ही बना हुआ है।कभी परियोजनाओं के नाम तो कभी अभ्यारण्यों के बहाने निरन्तर विस्थापित करने का षड्यंत्र किया जाता रहा है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।  संघर्ष भोपाल और दिल्ली में भी आगामी दिवसों में किया जाएगा।
सभा के दौरान विभिन्न सामाजिक चिंतको द्वारा अपने अपने विचार व्यक्त कर आदिवासीयों के हित चिंतन करते हुए विरोध में स्वर बुलंद किये।
                                 सभा के बाद रेड क्रास, बैगा बैगी चौराहा होते कलेक्टर कार्यालय पहुंच कर ज्ञापन दिया गया । इस कार्यक्रम में गुलाब सिंह मरदरिया संरक्षक आदिवासी महापंचायतए संतु लाल मरावी जिला अध्यक्ष आदिवासी विकास समितिए राजेंद्र पट्टा प्रदेश संयोजक आदिवासी विकास समन्वय समिति, दादू लाल कुडापे अध्यक्ष चुटका संघर्ष समिति, विवेक पवार, शारदा यादव, बबलू सोयाम सदस्य जनपद पंचायत, सुददे सिंह तेकाम,राजू मरावी,दिलीप सिंह सैयाम,रतन वरकड़े,बलवीर धुर्वे,इंद्रजीत भंडारी,वन्दना मरावी,जमुना उइके,मीरा मरावी अध्यक्ष महिला मोर्चा चुटका संघर्ष समिति,कलीराम मर्रापा, नवरतन दुबे,धन्नी परस्ते,पवन कुलस्ते सहित बड़े संख्या में जनप्रतिनिधियों सहित सामाजिक संगठनए आदिवासी महापंचायत, कोयतुर गोंडवाना सभा,आकाश, जयस,गोंडवाना स्टूडेंट युनियन, रूढी प्रथा ;पांचवीं अनुसूची गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति, गोंड समाज महासभा, आदिवासी विकास परिषद, आजाद.55,जन संघर्ष मोर्चा महाकोशल, चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति, राजा दलपत शाह अभयारण्य विरोधी मोर्चा एवं बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ को आयोजित कर रहे हैं। उपरोनों केक्त सभी संगठ कार्यकर्ता भारी संख्याओं में उपस्थिति हुए ।


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