मध्यप्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर मिली मान्यता

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मध्यप्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर मिली मान्यता


पर्यावरण मंत्री श्री सज्जन सिंह ने दी उपलब्धियों की जानकारी 


भोपाल : लोक निर्माण एवं पर्यावरण मंत्री श्री सज्जन सिंह वर्मा ने आज पर्यावरण विभाग की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि बीते एक वर्ष के दौरान पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण शोध, शिक्षण एवं जन-जागृति के क्षेत्र में किये गये महत्वपूर्ण कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। इसके लिये एप्को को दो राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुए।

मंत्री श्री वर्मा ने बताया कि प्रदेश के जल-संसाधनों, विशेषकर पारम्परिक तालाबों, कुओं और बावड़ियों के संरक्षण की दिशा में एप्को द्वारा ठोस कदम उठाए गए। जलाशयों का जीआईएस आधारित वेब पोर्टल बनाया गया, जिसमें प्रदेश के 15 हजार जलाशयों की जानकारी संकलित की गई। राज्य शासन ने एप्को में राज्य जलवायु परिवर्तन ज्ञान प्रबंधन केन्द्र की स्थापना की। इस केन्द्र की गतिविधियों का मुख्य आधार जलवायु परिवर्तन से संबंधित नवीन ज्ञान का सृजन, जानकारियों और सूचनाओं का संकलन और संबंधित जानकारी को हितधारकों को उपलब्ध कराना है। केन्द्र ने प्रदेश के सभी जिलों में आगामी वर्षों में तापमान और वर्षा में संभावित परिवर्तन को लेकर एक वैज्ञानिक अध्ययन भी किया है। इस अध्ययन के आधार पर अनुकूलन स्थिति कार्य-योजना और परियोजना बनाने में सहायता मिलेगी। पर्यावरण मंत्री ने बताया कि राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण, इसरो, अहमदाबाद तथा मैप-आई.टी., भोपाल के समन्वय से वेब पोर्टल तैयार किया गया है। यह पोर्टल आम जनता के लिये उपलब्ध है। एनपीसीए योजनांतर्गत भोज वेटलैण्ड रामसर साइट, भोपाल की पर्यावरणीय संरक्षण एवं प्रबंधन योजना (प्लान 2019-20) के लिये 4 करोड़ 33 लाख की राशि भारत सरकार द्वारा स्वीकृत की गई, जिसका क्रियान्वयन नगर निगम, भोपाल द्वारा किया जा रहा है। केन्द्र द्वारा वेटलैण्ड संरक्षण के लिये मध्यप्रदेश से भोज वेटलैण्ड, भोपाल और सिरपुर वेटलैण्ड, इंदौर का चयन किया गया है। इसमें ईको-सिस्टम हेल्थ रिपोर्ट कार्ड तथा 5 वर्षीय एकीकृत मैनेजमेंट एक्शन प्लान तैयार किये गये। शिवपुरी झील और शिवपुरी के नान कोर कार्य पूरे कर लिये गये हैं तथा सीवर नेटवर्किंग के तहत 97 हजार 490 मीटर सीवर लाइन अब तक बिछाई जा चुकी है। राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में सिंध सागर तालाब, ईसागढ़, जिला अशोक नगर के कार्य प्रगति पर हैं। शहरी जलाशयों के पर्यावरणीय संरक्षण एवं उन्नयन की कार्य-योजना तैयार कर स्थानीय एजेंसियों के माध्यम से संरक्षण कार्य जारी है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2 करोड़ 32 लाख 65 हजार की 6 परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई।


मंत्री श्री वर्मा ने जानकारी दी कि जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में एप्को की परियोजना को लीडरशिप इन अर्बन क्लाइमेंट एक्शन श्रेणी में विजेता घोषित कर पुरस्कृत किया गया। इंदौर शहर के 629 पारम्परिक कुओं, 330 बावड़ियों का चिन्हांकन कर संरक्षण की एक विस्तृत कार्य-योजना बनाई गई, जो नगर निगम के सहयोग से पूर्णता की ओर है। जलवायु परिवर्तन ज्ञान प्रबंधन केन्द्र द्वारा बुरहानपुर के कुओं एवं बावड़ियों के जीर्णोद्धार और संरक्षण की कार्य-योजना तैयार की गई, जिसका क्रियान्वयन किया जा रहा है। यहाँ बुरहानपुर की सदियों पुरानी और भारत की एकमात्र विलक्षण कनात पद्धति से भू-जल प्राप्त करने के लिये कुण्डी भंडारा के संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।


पर्यावरण मंत्री श्री वर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय हरित कोर योजना में प्रदेश के सभी स्कूलों और कॉलेजों में ईको क्लब के माध्यम से पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये गये। प्रदेशव्यापी ग्रीन स्कूल ग्रेडिंग कार्यक्रम आरंभ करने की कार्य-योजना प्रारंभ की गई। राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों, 800 ईको क्लब विद्यार्थियों तथा शिक्षकों का प्रकृति भवन कार्यक्रम आयोजित किया गया। क्लाइमेट स्मार्ट विलेज परियोजना प्रदेश के राजगढ़, सीहोर एवं सतना जिले के 20-20 गाँवों में क्रियान्वित की गई। मौसम की सटीक जानकारी के लिये 20 गाँवों में एक मौसम केन्द्र की स्थापना की जा रही है। धान की खेती में पानी और ट्रेक्टर के प्रयोग को कम करने के लिये 6 हजार किसानों को सीधी बुवाई पद्धति अपनाने के लिये प्रेरित किया गया। जलाशयों के पर्यावरणीय संरक्षण के लिये ग्रीन गणेश अभियान भी चलाया जा रहा है।


मंत्री श्री सज्जन सिंह वर्मा ने जानकारी दी कि मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने विभिन्न जल-स्रोतों से नमूने एकत्रित कर उनका विश्लेषण किया, ताकि नदियों की गुणवत्ता पर निगरानी रखते हुए प्रदूषण नियंत्रण की भावी योजनाएँ तैयार की जा सकें। प्रदूषण नियंत्रण के लिये 22 प्रदूषित नदी क्षेत्रों में कार्य-योजना बनाई गई। औद्योगिक प्रदूषण की सतत निगरानी, प्रभावी नियंत्रण तथा जन-सामान्य को जानकारी उपलब्ध कराने के लिये बोर्ड की वेबसाइट पर ब्यौरा प्रदर्शित किया जा रहा है। म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की केन्द्रीय प्रयोगशाला, भोपाल में माइक्रो बॉयोलॉजी लैब की स्थापना कराई गई।


पर्यावरण मंत्री ने बताया कि वायु प्रदूषण करने वाले ठोस ईंधन का उपयोग कर रहे 105 उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण के लिये बेग फिल्टर की स्थापना कराई गई। सतत परिवेशीय वायु गुणवत्ता मापन के लिये ग्वालियर, भोपाल, कटनी, जबलपुर और इंदौर में उपकरण स्थापित कराये गए। औद्योगिक प्रदूषण की सतत निगरानी के लिये पर्यावरण निगरानी केन्द्र में सेंट्रल सर्वर एप्लीकेशन प्रारंभ किया गया। दस हजार 500 वाहनों का उत्सर्जन मापन कर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को आंकड़े भेजे गये।


मंत्री श्री वर्मा ने बताया कि उद्योगों से उत्पन्न होने वाले हेजार्ड्स वेस्ट डिस्पोजल की जीपीएस आधारित ट्रेकिंग के लिये सॉफ्टवेयर तैयार कर लागू किया गया। रतलाम औद्योगिक क्षेत्र में 4 डम्प साइट में से एक साइट का 789 टन अपशिष्ट का सुरक्षित डिस्पोजल कराया गया। हेजार्ड्स वेस्ट के प्रभावी प्रबंधन के लिये प्रदेश का इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान तैयार किया गया। प्रदेश का 30 हजार 756 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा को-प्रोसेसिंग के लिये सीमेंट उद्योगों को भेजा गया। प्लास्टिक कैरी बैग को प्रतिबंधित करने के लिये 11 हजार 636 छापामार कार्यवाही में 45 टन से अधिक कैरी बैग जप्त किये गये और 41 लाख 47 हजार रुपये का जुर्माना किया गया। सभी शासकीय कार्यालयों में होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों में 4 जून, 2019 से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है। प्लास्टिक अपशिष्ट रजिस्ट्रेशन तथा ई-वेस्ट प्राधिकार के आवेदनों के निराकरण के लिये ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की गई है।


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