वैश्विक महामारी से बचाव में आज भी कारगर है हजारों वर्ष पुरानी आयुर्वेदिक औषधियाँ

0

वैश्विक महामारी से बचाव में आज भी कारगर है हजारों वर्ष पुरानी आयुर्वेदिक औषधियाँ



लघुवनोपज ने आयुष विभाग को प्रदाय किया साढ़े छह करोड़ रूपये मूल्य का काढ़ा चूर्ण, वटी और तेल
भोपाल के एक लाख और प्रदेश के 70 लाख लोगों को नि:शुल्क वितरित
 


भोपाल : भारतीय चिकित्सा पद्धति में रोग प्रतिरोधक क्षमता के प्रभावी और प्रमाणित उपायों को देखते हुए प्रदेश में अब तक लगभग 70 लाख लोगों को त्रिकटु चूर्ण (काढ़ा पाउडर), संशमनी वटी, अणु तेल और आरोग्य कषायम नि:शुल्क वितरित किए जा चुके हैं। भोपाल के एक लाख से अधिक लोग शामिल हैं। भोपाल में क्षेत्रवार औषधियाँ वितरित की जा रही हैं। कोलार में वितरण कार्य लगभग पूर्ण हो गया है।

लघु वनोपज प्र-संस्करण एवं अनुसंधान केन्द्र के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एल.एस. रावत ने बताया कि आयुष विभाग से अब तक 22 करोड़ 23 लाख रूपये से अधिक के ऑर्डर मिल चुके हैं। ऑर्डर की आपूर्ति के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। पहली बार 3 और 8 अप्रैल 2020 को मिले ऑर्डर के परिप्रेक्ष्य में एम एफ पी पार्क अब तक छह करोड़ 50 लाख 29 हजार 200 रूपये की औषधियों की सप्लाई आयुष विभाग को कर चुका है। इसमें एक लाख 23 हजार त्रिकटु चूर्ण (500 ग्राम), अणु तेल दो लाख 10 हजार (50 एम.एल.), 34 हजार संशमनी वटी (500 ग्राम) शामिल है। शेष औषधि सप्लाई के प्रयास भी युद्ध स्तर पर जारी हैं। हाल ही में आयुष विभाग ने 12 करोड़ 54 लाख 29 हजार रूपये मूल्य के 25 हजार नग त्रिकुट चूर्ण और 12 नग आरोग्य कषायम पूर्ति के आदेश भी दिए हैं।


पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला ने बताया कि कोरोना से बचाव के लिए केन्द्रीय आयुष मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर ये रोग प्रतिरोधक दवाएं बाँटने के लिए कहा है। श्वसन तन्त्र और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने वाली ये औषधियाँ विभिन्न अध्ययन और परीक्षण से गुजर चुकी हैं। लॉकडाउन अवधि में इन आयुर्वेदिक दवाओं, जड़ी-बूटियों के प्रयोग, व्यक्तिगत सुरक्षा और एन्टीबायटिक तुरंत ही ले लेने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण से अस्पतालों में मरीजों की संख्या और सामान्य मृत्यु दर घटी है। कई बीमारियाँ आधुनिक दवाइयों के साइड इफेक्ट की भी देन हैं।


संशमनी वटी में मुख्य रूप से गिलोय होती है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ बुखार, सर्दी-जुकाम में उपयोगी है। त्रिकटु चूर्ण में सोंठ, पीपली और कालीमिर्च शामिल है जिसका काढ़ा सर्दी-जुकाम में काफी असरदार है। अणुतेल संक्रमण की रोकथाम में बहुत कारगर सिद्ध हुआ है। इसके निर्माण में तिल तेल, नागरमोथा, वायविडंग, कटकारी, इलायची, खस, मुलैठी, दारूहल्दी, तेजपत्ता, देवदारू, दालचीनी, शतावर, जीवन्ती आदि का उपयोग किया जाता है। अणुतेल साइनस, नाक बहना, एलर्जी, नाक एवं गले के शुष्कपन (ड्रायनेस) की रोकथाम करता है।


Tags

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !