रातापानी अभ्यारण में नेशनल टाइगर रिजर्व पार्कों की तर्ज पर हाईटेक सिस्टम से की जा रही वन्य प्राणियों की निगरानी
एमसट्रिप ऐप की मदद से सौ ट्रेप कैमरे वन्य प्राणियों की हर गतिविधि पर रख रहे सतत नजर
वन्य प्राणियों को ट्रेस करना आसान हुआ तो कर्मचारियों की गस्त भी हुई प्रभावी
इसमें सेंचुरी में कार्य करने वाले वन अधिकारियों एवं वन कर्मियों के मोबाइल एप को जीपीएस से जोड़ दिया गया है। डीएफओ विजय कुमार ने बताया कि एम स्ट्रीप्स एप के सहारे सेंचुरी से दो तरह के आंकड़े संग्रहित किए जाने में आसानी हुई है। इसमें पहला इकोलॉजी से तथा दूसरा कर्मियों की गश्ती पर आधारित है।। उन्होंने बताया कि मॉनीटरिग सिस्टम फॉर टाईगर्स इंटेसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल सिस्टम के नाम से जाने जाने वाले इस एप का इस्तेमाल बाघों की गणना में भी किया जा सकेगा। इसकी मदद से डाटा कलेक्शन का भी काम किया जा सकेगा, जिससे सेंचुरी की वार्षिक कार्ययोजना बनाने में भी मदद मिलेगी। इसकी मदद से जो प्रतिदिन आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं, उसे डेस्क टाप पर डालकर पूरे वर्ष के आंकड़े निकाले जा सकेंगे। और तो और इसे मांस भक्षी एवं शाकभक्षी वन्य प्राणियों की अलग-अलग गतिविधियों का जायजा लिया जा रहा है ।
बन मंडल को एम स्ट्रीप्स एप से जोड़ने के बाद मॉनीटरिग, प्लानिग एवं बाघों की सुरक्षा में मदद मिली। इस सुविधा के मिलने के बाद रातापानी अभयारण्य देश के अन्य विकसित टाईगर रिजर्व में शामिल हो जाएगा।