भोपाल । करीब ढाई साल बाद व्यापक स्तर पर हुए तबादलों ने नई समस्या खड़ी कर दी है। इससे जहां शहरी क्षेत्रों में शिक्षक अतिशेष (जरूरत से ज्यादा) हो गए हैं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के अनुपात पर शिक्षक नहीं बचे हैं। जिससे भविष्य में ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाई प्रभावित होने की स्थिति बन गई है। मामले में स्कूल शिक्षा विभाग जांच कराकर अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण (समायोजन) करने की तैयारी कर रहा है। करीब डेढ़ माह चले तबादलों के दौरान तीन हजार से ज्यादा शिक्षकों के तबादले हुए हैं। प्रदेश में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षकों के तबादले हुए थे। उसके बाद राजनीतिक कारणों से निचले स्तर पर तबादले नहीं हुए। इसलिए जैसे ही राज्य सरकार ने तबादलों से रोक हटाई, हर विभाग एवं संवर्ग के कर्मचारियों ने तबादले का आवेदन लगा दिया। स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्र बताते हैं कि करीब सात हजार शिक्षकों ने तबादले की इच्छा जताई थी। जिसमें से अब तक तीन हजार शिक्षकों के तबादले हुए हैं। इनमें से भी दो हजार से ज्यादा शिक्षक ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में आ गए हैं। इन शिक्षकों में से करीब डेढ़ हजार शिक्षक अतिशेष बताए जा रहे हैं। अकेले भोपाल में पांच सौ शिक्षक अतिशेष हो गए हैं। यहां पहले से 350 शिक्षक अतिशेष थे और डेढ़ सौ नए आ गए हैं। ऐसे ही हालात अन्य जिलों में हैं। इसलिए शिक्षकों को अब तक ज्वाइन नहीं कराया जा रहा है। क्योंंकि पद ही नहीं है।


मांगी अतिशेष शिक्षकों की सूची
डीईओ से मांगी अतिशेष शिक्षकों की सूची मामला जब विभाग के राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार के पास पहुंचा, तो उन्होंने जांच के निर्देश दिए हैं। राज्यमंत्री से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से शहरी क्षेत्र में अतिशेष हुए शिक्षकों की सूची मांगी है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के उन स्कूलों की सूची मांगी है, जहां बच्चों-शिक्षकों का अनुपात गड़बड़ा गया है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत 40 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए।