नई दिल्ली । राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। सन 2018 से सन 2020 के बीच इस तरह की 1,22,018 वारदातें सामने आईं हैं। वहीं, 2018 के मुकाबले 2020 में 23787 मामलों की वृद्धि देखी गई है। 2020 में साइबर अपराध की सर्वाधिक घटनाएं कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और असम में दर्ज की गई हैं। 
सिक्किम देश का इकलौता राज्य है, जहां गत वर्ष साइबर अपराध का एक भी मामला सामने नहीं आया। दूसरी तरफ देश में साल दर साल साइबर अपराध के चढ़ते ग्राफ को देखकर प्रतीत होता है कि सूचना प्रौद्योगिकी के इस आधुनिक युग में साइबर अपराधियों के हौसले परवान चढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में सरकार के समक्ष साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा अपराधियों को सबक सिखाना कड़ी चुनौती बनती जा रही है।
उक्त रपट से पता चलता है कि साइबर अपराध के पीछे केवल आर्थिक उद्देश्य ही नहीं होते हैं, बल्कि कई सामाजिक और मनोवैज्ञानिक वजहों से भी ऐसे अपराधों को अंजाम दिया जाता है। 
सन 2020 में साइबर अपराध की जितनी घटनाएं सामने आईं, उनमें 1470 घटनाएं व्यक्तिगत बदला लेने के लिए, गुस्से से प्रेरित 822, धोखा देने के लिए 30142, बदनाम करने के लिए 1706, मजाक (प्रैंक) के लिए 254, यौन शोषण के उद्देश्य से 3293 और 113 मामले आतंकवादी गतिविधियों के संचालन से जुड़े थे।
साइबर अपराधी लोगों की गोपनीयता में सेंध लगाने से लेकर राष्ट्र की सुरक्षा से भी खिलवाड़ करने से बाज नहीं आते हैं। वे महिलाओं और बच्चों को भी अपना शिकार बनाते हैं और उन्हें बेवजह परेशान करते हैं। 2020 में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के क्रमश: 10405 और 1102 मामले प्रकाश में आए। साइबर अपराधी फर्जी ईमेल, मैसेज, फोन काल, क्रेडिट-डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग और ओटीपी संबंधी क्लोन आदि के जरिये लोगों को चकमा देते हैं।
गत वर्ष दर्ज साइबर अपराधों में एटीएम कार्ड की धोखाधड़ी से जुड़े 2160, क्रेडिट और डेबिट कार्ड से जुड़े 1194, ओटीपी से जुड़े 1093 और आनलाइन बैंकिंग से पैसे उड़ाने के 4047 मामले प्रकाश में आए थे। साइबर अपराधी बड़े शातिर तरीके से ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। हालांकि, साइबर सेल के गठन होने से कई गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। जरूरी है इन पर प्रशासन लगातार पैनी नजर बनाए रखे। देश में सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत किसी भी तरह का साइबर अपराध करना दंडनीय अपराध है। बावजूद इसके हर दिन इस तरह के मामले सामने आते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी का आगमन एक ओर जहां वरदान साबित हुआ है, वहीं उसका सहारा लेकर कई गिरोह अपराध भी कर रहे हैं। देश के कई शहर इन दिनों साइबर अपराध का गढ़ बन चुके हैं। यह स्थिति बदलनी होगी।