भोपाल । एक बार फिर नवम्बर-दिसम्बर में स्थानीय निकाय चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई है। जबलपुर हाईकोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से एक आवेदन देकर निकाय चुनाव कराने की मांग की है। चुनाव आयोग का कहना है कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं। बताया जा रहा है कि जो याचिकाएं आरक्षण को लेकर लगी हैं, उन निकायों को छोड़कर शेष निकायों पर चुनाव कराने की मांग भी आयोग की ओर से रखी गई।
नगर निगम चुनावों को लेकर एक बार फिर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। जबलपुर हाईकोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता द्वारा एक आवेदन देकर चुनाव कराने की मांग की है। आयोग ने यह भी कहा है कि निकायों का कार्यकाल समाप्त हो गया है, इसलिए हमारा कर्तव्य है कि चुनाव जल्द कराए जाएं।  हाईकोर्ट में दो महापौर तथा कुछ स्थानीय निकायों में आरक्षण को चुनौती देकर याचिकाएं लगाई गई थीं, जिसमें उज्जैन और मुरैना जैसी नगर निगम शामिल हैं। इन याचिकाओं को एकसाथ जबलपुर में ही सुना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इन याचिकाओं के निराकरण तक चुनाव नहीं हो सकते, लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग के चुनाव कराने संबंधी हामी भरने के बाद चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। हालांकि कोर्ट की ओर से अभी तक इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। विदित है कि प्रदेश में 2019 में स्थानीय निकाय चुनाव होना थे, लेकिन आरक्षण संबंधी याचिकाएं लगने के कारण चुनाव में देरी हो रही हैं। वहीं राज्य सरकार ने कोरोना काल में चुनाव नहीं कराने के लिए भी राज्य निर्वाचन आयोग से कहा था। अभी भी सरकार की ओर  से यही कहा जा रहा है कि तीसरी लहर को देखकर चुनाव कराना अभी ठीक नहीं रहेगा। हालांकि आयोग चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है और हाईकोर्ट में दर्ज याचिकाओं का निराकरण हो जाता है तो नवम्बर-दिसम्बर में चुनाव हो सकते हैं। वैसे आयोग ने पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है, क्योंकि इसमें किसी प्रकार का पेंच नहीं है।
भाजपा नहीं चाहती चुनाव, कांग्रेस जल्दी में
स्थानीय निकाय चुनाव कराने की जल्दी कांग्रेस को हैं, ताकि उसे फायदा मिल सके। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि बढ़ती महंगाई और अन्य मुद्दों पर भाजपा फेल हो गई है, उसका फायदा उन्हें स्थानीय चुनाव में मिलेगा, वहीं भाजपा अभी चुनाव टालने के मूड में हैं। भाजपा नेताओं का मानना है कि अगर चुनाव हुए तो उन्हें लोगों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।