उत्तर प्रदेश | कोयले की कमी के कारण उत्तर प्रदेश में बिजली का संकट जारी है। रविवार को बिजली संयंत्रों में 5250 मेगावाट बिजली का कम उत्पादन हुआ। उधर, अब शहरों में भी अघोषित कटौती बढ़ा दी गई है। कुछ संयंत्रों की कोयले की आपूर्ति हुई है, पर वहां अब भी एक या दो दिन से ज्यादा का कोयला नहीं बचा है।
बिजलीघरों में कोयले के घटते भंडार ने बिजली उत्पादन की रफ्तार धीमी कर दी है। इसी के चलते बिजली कटौती लगातार हो रही है। रविवार को राज्य के यूपी आरवीयूएनएल यानी सरकार के संयंत्रों ने 11 सौ मेगावाट कम बिजली का उत्पादन किया। निजी कंपनियों के संयंत्रों ने 2550 मेगावाट तथा एनटीपीसी ने 1600 मेगावाट कम बिजली उत्पादित की।
औसतन प्रदेश में प्रतिदिन बीस हजार मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाता है लेकिन रविवार को इन सभी में कुल 5250 मेगावाट का कम उत्पादन हुआ। इसका असर यह रहा है कि नगर मुख्यालयों में अघोषित रूप से विद्युत कटौती और बढ़ा दी गई जबकि डेढ़ से चार घंटे की कटौती पहले ही हो रही थी। गांव और तहसील मुख्यालयों पर भी कटौती जारी है।
राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अधिकारियों का कहना है कि हरदुआगंज व पारीछा में कोयले का स्टॉक लगभग समाप्त हो गया है। हरदुआगंज में 8000, पारीछा में 15000, अनपरा में 40,000 तथा ओबरा में 16000 मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता है। थोड़ा कोयला मिला जिससे संयंत्रों को बंद करने की नौबत नहीं आई पर स्थिति यही है कि हरदुआगंज और पारीक्षा में एक एक दिन का ही कोयला शेष रह गया है। कोयला आने के बाद भी अनपरा में दो दिन और ओबरा में तीन दिन का ही कोयला शेष बचा है।