भोपाल । प्रदेश में उन 50 लाख पुराने वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लग सकेगी, जो परिवहन विभाग व लिंक उत्सव के बीच चल रहे कानूनी विवाद की वजह से प्लेट लगने से वंचित रह गए थे। परिवहन विभाग ने लिंक उत्सव कंपनी का हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने का ठेका पुर्नजीवित करने पर महाधिवक्ता कार्यालय जबलपुर से अभिमत मांगा था। इस अभिमत में ठेके को पुर्न जीवित करने की सलाह दी गई है। विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। जिससे लिंक उत्सव को काम करने की अनुमति दी जा सके। यह कंपनी दुबारा काम शुरू कर सकती है, 50 लाख वाहनों पर फिर से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लग सकेगी।
परिवहन विभाग जनवरी 2012 में लिंक उत्सव कंपनी से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने का अनुबंध किया था। इस कंपनी ने हर जिले में प्लेट लगाने का काम शुरू कर दिया, उसके बाद कंपनी शिकायतें आने लगीं। प्लेटों की गुणवत्ता ठीक नहीं थी। 19 लाख पुराने वाहनों का पैसा इस कंपनी को मिल गया था, लेकिन 9 लाख वाहनों पर प्लेट लगाई। शर्तों का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अक्टूबर 2014 में कंपनी का ठेका निरस्त कर दिया। इसके बाद लिंक उत्सव न्यायालय की शरण में चली गई। हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगल पीठ ने लिंक उत्सव के पक्ष में फैसला दिया था। इस फैसले को परिवहन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आर्बीट्रल को केस भेज दिया। मध्यस्था के माध्यम विवाद को सुलझाया गया। विभाग आर्बीट्रल में साबित नहीं कर पाया कि 19 लाख वाहनों का पैसा लिया और उनकी नंबर प्लेट नहीं लगाई। इस आधार पर आर्बीट्रल ने लिंक उत्सव के पक्ष में फैसला दिया। ठेका पुर्नजीवित करने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद विभाग ने अभिमत मांगा था। इस अभिमत में फिर से कंपनी को काम कराने की सलाह दी है।
50 लाख वाहन आए हैं सड़कों पर
अक्टूबर 2014 से 1 अप्रैल 2019 के बीच प्रदेश में सभी तरह के करीब 50 लाख वाहन नए खरीदे गए हैं। इन वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं है। बाजार से प्लेट खरीदकर नंबर लिखवाये हैं। 1 अप्रैल 2019 के बाद हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनिवार्य कर दी है। दूसरे राज्यों में बिना प्लेट के गाड़ी मिलती है तो जुर्माना भरना पड़ता है। विशेष कर दिल्ली एनसीआर में इस प्लेट को लेकर काफी सख्ती है। जुर्माना होने के बाद लोग परिवहन विभाग पहुंचते हैं। 1 अप्रैल 2019 के बाद जो वाहन खरीदे गए हैं, उन पर निर्माता कंपनी ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेटें लगाई हैं। पुराने वाहन वाले विभाग के पास शिकायत लेकर जाते हैं तो लोगों को निराशा मिलती है। प्लेट लगाने वाला वेंडर नहीं है। पुराने वाहनों पर नंबर प्लेट लगनी है। ताकि दूसरे राज्यों में प्रदेश को जुर्माने की कार्रवाई का सामना न करना पड़े।
यह समस्या आ रही सामने
- वर्ष 2012 में इस कंपनी से जो करार हुआ था, उसमें 110 रुपये टू व्हीलर की नंबर प्लेट व 315 रुपये चार पहिया वाहन की नंबर प्लेट लगाई जा रही थी। हर पांच साल में रेट रिवाइज होने थे। अक्टूबर 2014 में ठेका निरस्त हो चुका है। लिंक उत्सव कंपनी वर्ष 2012 के रेट पर काम करने के लिए तैयार नहीं दिख रही है। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों में जो आफिस का ढांचा खड़ा किया था, वह नहीं बचा है, न मशीनें।
इनका कहना है
- महाधिवक्ता कार्यालय से अभिमत मांगा गया था। अभिमत के आधार पर ठेके को पुर्नजीवित करने के संबंध में शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। शासन स्तर पर फैसला होना है।
अरविंद सक्सेना, अपर आयुक्त परिवहन