- कोयला के लिए कंपनी ने सरकार से मांगे 850 करोड़
भोपाल । मप्र में दशहरा से बिजली कटौती जैसे हालात न बने इसकी चिंता शुरू हो गई है। कोयले की सप्लाई अटकने की वजह बिजली इकाईयों में उत्पादन कम हो गया है। कोल कंपनियां पिछला बकाया वसूलने पर जोर दे रही है। ऐसे में प्लांट में कोयले की सप्लाई घटा दी गई है। इधर बिजली कंपनी का दावा है कि पूरे देश में कोयले का संकट है। इसके बावजूद मप्र में कोयला दूसरें प्रदेशों में तुलना में ज्यादा मिल रहा है। मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के प्रबंध संचालक ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। उन्होंने कोयले के लिए तत्काल 850 करोड़ रुपये की मांग की। कंपनी प्रबंधन के अनुसार हालात चिंताजनक है। यदि कोयले की उपलब्धता जल्द सुनिश्चित नहीं हुई तो प्रदेश में बिजली कटौती का दौर आ सकता है। अभी देश के कर्नाटक,राजस्थान और पंजाब में बिजली कटौती प्रारंभ हो चुकी है। कोयले की सभी लगभग सभी राज्यों में बनी हुई है। मप्र में कोयले से करीब 5400 मेगावाट बिजली का उत्पादन क्षमता है लेकिन कोयला कम होने के कारण इकाईयां कुछ बंद है जो चल रही है उन्हें आधे लोड पर सिर्फ चलाया ही जा रहा है। ऐसे में करीब 2400 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है।
सिर्फ एक दिन का कोयला
बिजली इकाईयों में उनकी क्षमता के हिसाब से एक दिन के लिए कोयला उपलब्ध है। जबकि कंपनी की सारणी,अमरकंटक और बिरसिंहपुर में आधे लोड पर ही बिजली उत्पादन हो रहा है। खंडवा में एक दिन का कोयला है। हर दिन बिजली उत्पादन के लिए करीब 65 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरुरत है। मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी के पावर प्लांट में डब्ल्यूसीएल,एसीसीएल और एनसीएल से कोयल पहुंचता है।
6 हजार करोड़ लेनदारी
मप्र पावर जनरेशन कंपनी को प्रदेश की वितरण कंपनियों से करीब छह हजार करोड़ रुपये लेने हैं। यह राशि लंबे समय से नहीं मिली है। जनरेशन कंपनी की कोल कंपनियों को करीब हजार करोड़ रुपये की देनदारी है। उधारी बढ़ी तो कोयला सप्लाई रोकी गई। अब जैसे पैसा भुगतान हो रहा है उस हिसाब से कोयले की हर दिन सप्लाई मिल रही है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए प्रबंध संचालक मनजीत सिंह मुख्यमंत्री से मिले और करीब 850 करोड़ रुपये का फंड कोयले के लिए मांगा। इधर त्योहार और चुनाव में बिजली संकट ने मुख्यमंत्री को भी परेशान कर दिया है उन्होंने हालात सुधारने के लिए शीघ्र मदद का भरोसा दिया।
इनका कहना है
मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत गृहों में कोयले की उपलब्धता के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। सभी स्त्रोतों से कोयला लेने की कोशिश हो रही है। कोल इंडिया व रेलवे से कोयले की सतत् सप्लाई के लिए बात की जा रही है। हमारी स्थिति सामान्य नहीं है, लेकिन अन्य प्रदेशों की तुलना में मध्यप्रदेश बेहतर स्थिति में है। राजस्थान, कर्नाटक व पंजाब में कोयले की कमी से पावर कट लागू कर दिए गए हैं। कोयले की उपलब्धता के लिए ऐसे अभूतपूर्व प्रयास कर रहे हैं, जो इसके पूर्व कभी नहीं किए गए।
मनजीत सिंह, एमडी मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी