इसके बगैर नहीं ‎मिलेगा फिटनेस सर्टिफिकेट, आयुक्त ने जारी किए निर्देश


भोपाल।  प्रदेश में भारी वाहनों पर रिफ्लेक्टर टेप (परावर्ती पट्टिका) और रियर मार्किंग प्लेट लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा इस‎लिए ‎किया गया है सड़क दुर्घटनाएं रोकी जा सके। ऐसा नहीं करने वाले वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा। इस बारे में परिवहन आयुक्त मुकेश जैन ने सभी क्षेत्रीय एवं जिला परिवहन अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। वहीं रिफ्लेक्टर और मार्किंग प्लेट की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए कम्प्यूटराइज्ड व्यवस्था भी की जा रही है। इसके माध्यम से पुलिस और परिवहन विभाग के कर्मचारी पता लगा सकेंगे कि वाहन पर अमानक स्तर का रिफ्लेक्टर और मार्किंग प्लेट तो नहीं लगे हैं। पिछले नौ महीने में अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में भिंड एवं मुरैना जिलों में 21 लोगों की मौत हुई है। हाल ही में आगरा-मुंबई हाइवे पर मुरैना के बानमोर औद्योगिक क्षेत्र में अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के चार पुलिसकर्मियों की मौत के बाद परिवहन विभाग हरकत में आया। विभाग के आयुक्त मुकेश जैन ने 'मोटरयान अधिनियम 1989" के नियम 104 का हवाला देते हुए दोपहिया और तीन पहिया वाहनों को छोड़कर अन्य सभी वाहनों के पिछले हिस्से में दो लाल रंग का रिफ्लेक्टर लगाना अनिवार्य कर दिया है।  परिवहन आयुक्त के मुताबिक नई व्यवस्था में वाहन पर परावर्ती टेप लगाने का सर्टिफिकेट विभाग की पोर्टल से जनरेट होगा। उसमें टेप की पूरी जानकारी होगी। मसलन लंबाई, चौड़ाई, रंग, टेप कब बना, कोड, निर्माता का नाम आदि। वाहन निर्माता व अधिकृत डीलर ने जिस वाहन पर लगाया है, उसका पंजीयन क्रमांक, चेचिस नंबर, इंजन नंबर, वाहन की श्रेणी, बॉडी का प्रकार और क्यूआर कोड। ये सर्टिफिकेट पोर्टल पर हमेशा रहेगा। वाहनों की जांच के दौरान क्यूआर कोड की मदद से इसे देखा जा सकेगा।आयुक्त ने लिखा है कि व्यावसायिक वाहनों को अगले भाग में सफेद एवं पिछले में लाल रंग का परावर्ती टेप लगाना होगा। वहीं, यात्री वाहनों को इसके अलावा पिछले हिस्से में पांच सेंटीमीटर चौड़ाई का परावर्ती टेप पूरी लंबाई में लगाने के निर्देश हैं। जबकि, निर्माण कार्य में उपयोग होने वाले वाहनों में आगे-पीछे के अलावा साइड में भी मापदंडों के अनुरूप परावर्ती टेप या कलर लगाना होगा।