जबलपुर। नवरात्र पर्व पर माँ जगदम्बा की भक्ति में संस्कारधानी सराबोर है। देवी मंदिरों में भक्तिगीतों की स्वर लहरियां गूंज रही हैं। आज रविवार को नवरात्र की चतुर्थी और पंचमी तिथि है। चतुर्थी में माँ के चौथे रुप वूâष्मांडा और पंचमी में माँ के पांचवे स्वरुप स्वंâद माता का पूजन किया जाएगा, तथा भगवती का पांच प्रकार के वस्त्रों से श्रृंगार किया जाएगा। पंचमी तिथि को प्राय: अधिकांश स्थानों पर जगत जननी की प्रतिमाओं की स्थापना कर ली जाएगी, और इसी के साथ ही माँ के विविध रुपों के दर्शनार्थ श्रद्धालुओं का जनसैलाब सड़कों पर दिखाई देगा। गढ़ा फाटक और पड़ाव की महारानी के रुप में प्रसिद्ध माता महाकाली के दरबार में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। सुबह से ही पूजन अर्चन करने वालों का तांता लग जाता है जो देर रात तक जारी रहता है।

माँ वूâष्मांडा के पूजन से आयु, यश, बल की प्राप्ति.......
नवरात्र के चौथे दिन माता वूâष्मांडा का पूजन मंदिरों एवं घरों में किया जाएगा। इस संबंध में पंड़ित पीएल गौतमाचार्य ने बताया कि नवरात्रि पर भगवती वूâष्मांडा के पूजन का विशेष महत्व होता है और उन्हें सृष्टि की उत्पत्ति का कारक भी माना गया है, इसलिये माता वूâष्मांडा को कुम्हड़ा अवश्य भेंट करना चाहिए। साथ ही मालपुआ एवं खीर का भोग भी लगाने से आयु, यश, बल एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है। भगवती वूâष्मांडा अल्प सेवा से ही प्रसन्न हो जाती है। चौथे दिवस पर ५ वर्ष की कन्या को आमंत्रित कर वस्त्र एवं सौन्दर्य सामग्री भेंट करना चाहिए। इससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है।

इच्छाओं को पूर्ण करती हैं स्वंâद माता.........
आदिशक्ति का पांचवा स्वरुप स्वंâद माता है। कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्वंâद माता कहा जाता है। नवरात्र के पंचम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। ज्योतिषाचार्य पंड़ित पीएल गौतमाचार्य के अनुसार इनकी आराधना से विशुद्ध चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: ही प्राप्त हो जाती है, तथा मृत्युलोक में ही साधक को परम शक्ति और सुख का अनुभव होने लगता हैं। भक्त की समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने माँ आध्यात्मिक दर्शन देती है।

सज गया पूरा शहर.........
रविवार को प्राय: सभी स्थानों पर विधिवत चतुर्थी, पंचमी की पूजा अर्चना के साथ माँ जगत जननी की प्रतिमाओं की स्थापना कर ली जायेंगी, तथा आज से ही मातारानी के विविध स्वरुपों के दर्शनार्थ श्रद्धालुओं का जन सैलाब सड़कों पर दिखाई देगा। दुर्गोत्सव पर्व पर नगर पथ आकर्षक विद्युत साज सज्जा से सज गया है। दुर्गा पंडाल सज-धज कर तैयार है। पंडालों से लेकर सड़कों के दोनों किनारों तक जगमग रोशनी लोगों का मन मोह रही है।

पनागर के सिंगलदीप में विराजी माता महाकाली..............
पनागर के सिंगलदीप गांव में विशाल माता महाकाली की प्रतिमा स्थापित की गई। पण्डित योगेश बिलोहां ने बताया कि नवरात्र के ९ दिन में प्रतिदिन बैठकी के दिन से प्रातः ९:०० बजे से कन्या भोजन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें  ग्राम की सैकड़ों कन्याएं बैठकर प्रसाद ग्रहण करती हैं। गांव के प्राचीन दुर्गा मंदिर में जवारे बोए जाते हैं, जिनका विसर्जन नवमी के दिन किया जाता है। पूरे गांव में एक धार्मिक वातावरण रहता है। गांव के भैया पटेल, रामकेश पटेल, सुनील उपाध्याय, प्रमोद बिलोहां, सुनील बिलोहा, राम सिंह मास्टर, अजीत पटेल, विनय पटेल, हेमंत पाठक, राजेश दुबे, अशोक पटेल, विजय पटेल, दुर्गेश बिलोहां, ने बताया कि ग्यारस के दिन धूमधाम से चल समारोह के रूप में माता की प्रतिमा विसर्जन हिरन नदी में किया जाता है।