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वॉशिंगटन । फाइजर ने अमेरिका से 5 से 11 साल के बच्चों को कोविड वैक्सीन लगाने के लिए अनुमति मांगी है। अगर फाइजर को यह मंजूरी मिल जाती है तो अगले कुछ हफ्ते में अमेरिका में छोटे-छोटे बच्चों को भी वैक्सीन की खुराक लगनी शुरू हो जाएगी। फाइजर ने अमेरिकी सरकार से अनुरोध किया कि वह 5 से 11 साल के बच्चों को कंपनी का कोविड-19 टीका लगाने की अनुमति दे। दुनियाभर के देशों में माता-पिता और शिशु रोग विशेषज्ञ 12 साल से कम आयु के बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। फिलहाल फाइजर और उसकी जर्मन सहयोगी बायोएनटेक का टीका 12 साल से ज्यादा आयु वर्ग के बच्चों और वयस्कों को लगाया जा रहा है। कभी-कभी बच्चे ना सिर्फ गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं, बल्कि कम टीकाकरण वाले क्षेत्रों में कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के बीच उन्हें स्कूल भेजना भी खतरनाक है।
फाइजर ने ट्वीट किया कि उसने आखिरकार टीके की मंजूरी के लिए अमेरिका के ‘फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ (एफडीए) को आवेदन दे दिया है। अब इस संबंध में एफडीए को फैसला करना है कि क्या टीके के सुरक्षित होने और बच्चों पर उसके प्रभावी होने के संबंध में पर्याप्त साक्ष्य हैं। विशेषज्ञों का एक स्वतंत्र पैनल 26 अक्टूबर को सभी साक्ष्यों पर सार्वजनिक बहस करेगा। अगले कुछ दिनों में भारत में भी 18 साल से कम उम्र के बच्चों का भी कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो सकता है। 2 से 18 साल के बच्चों पर कौवैक्सीन की स्टडी लगभग पूरी हो चुकी है। फाइनल रिपोर्ट आने वाली है। शुरुआती संकेत अच्छे बताए जा रहे हैं। वयस्कों में वैक्सीन का अब तक रिजल्ट यह देखा गया है कि संक्रमण तो वैक्सीन के बाद भी हो रही है, लेकिन बीमारी कम हो रही है, अस्पताल में एडमिशन कम हो रहा है और इस वजह से मौत भी कम हो रही है। इसलिए, 12 से 18 साल के बच्चों और पहले से बीमार बच्चों में वैक्सीन पहले लगे तो बेहतर होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि 12 से 18 साल के बच्चों में पहले वैक्सीनेशन होना चाहिए, क्योंकि ये उम्र के लिहाज से कोरोना संक्रमण को लेकर ज्यादा हाई रिस्क में हैं। दूसरा, अगर इस उम्र के बच्चे किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो उनको ज्यादा खतरा है। यही नहीं, बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू करने से पहले सरकार को अलग से एक प्रोटोकॉल बनाना चाहिए, ताकि माता-पिता से लेकर वैक्सीनेशन टीम तक इन बातों का ख्याल रखते हुए वैक्सीनेशन में शामिल हों।