ग्वालियर |  जब होश आया, तो मेरे ऊपर किसी की लाश पड़ी थी। मैं बुरी तरह घायल था। अपने ऊपर से बॉडी हटाई, तो देखा वो मेरा सगा बड़ा भाई राहुल था। 15 मिनट तक उसका सीना दबाया। मुंह से सांस दी, लेकिन वह खामोश पड़ा रहा। तब लगा कि अब वह इस दुनिया में नहीं रहा। हम दोनों एक साल बाद घर लौट रहे थे। जब ट्रेन में थे, तो भैया के बच्चों का फोन आया था। उनके लिए रिमोट वाली कार लेकर जा रहे थे। अब बच्चे घर पर इंतजार कर रहे होंगे। बच्चों, भाभी को पता भी नहीं है कि अब भैया इस दुनिया में नहीं रहे। यह कहानी है जयआरोग्य हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में इलाज करा रहे इटावा के सूरज कुमार की। भिंड में भीषण हादसे के बाद सूरज के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है।

अस्पताल में इलाज करा रहा सूरज दोपहर तक अकेला था। उसके घर से कोई नहीं आया था। उसका सामान, मोबाइल, भाई का मोबाइल सब बस में ही गिर गए थे। सूरज के सिर, मुंह में गंभीर चोट आई है। उसकी हालत भी ठीक नहीं है, लेकिन बार-बार भाई को याद कर वह रोने लगता है।

पुणे के होटल में करते थे काम
इटावा के रहने वाले राहुल कुमार (25) और सूरज कुमार (18) पुणे के एक होटल में कर्मचारी हैं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह दोनों पुणे में काम करते थे। राहुल की शादी हो चुकी है और दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी। बेटा 4 साल का है। बेटी उससे छोटी है।

एक साल से वह दोनों घर नहीं जा पाए थे। रात को ट्रेन में सवार हुए थे, तब राहुल ने बच्चों से बात की थी। सुबह ट्रेन से ग्वालियर आए। इसके बाद स्टेशन से बाहर निकलते ही ग्वालियर से यूपी बरेली जा रही बस खड़ी मिल गई।

घरवालों से कहा था- सुबह 11 बजे तक आ जाएंगे
ट्रेन में बातचीत के दौरान राहुल ने घरवालों से कहा था कि सुबह 11 बजे तक घर पहुंच जाएंगे। सुबह बस ग्वालियर से बरेली के लिए चली। अभी NH-719 पर गोहद में डांग बिरखड़ी पहुंचे ही थे, तभी बेकाबू कंटेनर ने बस में कट मार दी। इससे बस एक बार पलट कर फिर से सीधी हो गई। हादसे के बाद बस में चीख पुकार मच गई। पीछे की सीट पर यात्री एक के ऊपर एक पड़े थे।

बच्चों से क्या कहूंगा, उनके पापा कहां रह गए
घायल सूरज को भाई की मौत का गहरा सदमा लगा है। वह बार-बार रो रहा है। उसे यही चिंता थी कि घर पर जब भाई के बच्चों से सामना होगा, तो उनसे क्या कहूंगा कि उनके पापा कहां रह गए। उधर, डॉक्टर ने उसे कम बात करने की सलाह दी, क्योंकि उसकी भी हालत कुछ ठीक नहीं थी।

नातिन से मिलने जा रहे थे
हादसे में घायल ग्वालियर के शताब्दीपुरम निवासी 65 साल के हरनाथ सिंह भदौरिया मैनपुरी में नातिन से मिलने जा रहे थे। वह सुबह खिलौने लेकर खुशी-खुशी बस में सवार हुए थे, लेकिन उनको नहीं पता था कि कुछ किलोमीटर निकलने के बाद यह हादसा हो जाएगा। हरनाथ सिंह की भी हालत गंभीर है। उनके घायल होने की सूचना मिलते ही पत्नी घटना स्थल पर पहुंच गई थी।

फर्रुखाबाद जा रहे थे, टूट गईं पसलियां
हादसे में घायल ग्वालियर के आपागंज निवासी असलम खां कादरी (60) शुक्रवार सुबह घर से फर्रुखाबाद के कायमगंज की दरगाह के लिए निकले थे। उन्हें मन्नत मांगनी थी, लेकिन हादसे में हुए हादसे में वह बुरी तरह घायल हैं। उनको बस से निकालने में करीब 20 मिनट लगे। उनका पूरा शरीर खून से सना है। पसलियां टूट चुकी हैं। दोनों हाथों में फ्रैक्चर है। हादसे का पता चलते ही बेटा अस्पताल पहुंच गया था।