नई खेती जिसने बेटा व बैल दोनो निकाल बाहर किया

0

 नई खेती जिसने बेटा व बैल दोनो निकाल  बाहर किया।

              ०--बाबूलाल दाहिया

        मित्रो दीपावली नजदीक है। आज जब मै एक बैठक में सतना  गया तो देखा कि डीजल  से लुटे पिटे लोगो को लूटने के लिए बम्म ,पटाखे ,झालर आदि की दुकानें भी सजने लगी हैं। इस हालत में लोग खुसी मनाने लायक हैं भी य दुकाने भर ही सजी है?

            क्योकि बड़ा लुटेरा तो फैक्ट्री लगा कही दिल्ली मुम्बई में बैठा होगा। यह तो सब छोटे ब्यापारी हैं जिनकी उसी से अजीविका चलती है और बेचारे दीपावली का न जाने कब से इंतजार कर रहे होंगे?

            उधर गाँव मे खेत हैं और भरपूर फसल हैं। चारो तरफ धान की पकी और  पियराई हुई बालियां दिख रही हैं।  क्योकि आज की खेती पेट की नही सेठ की खेती है।

पर न तो गाँव में कोई युवक हैं न ही चित्र में दिख रही किसान सुरेन्द्रपाल सिंह जैसी बैलों की जोड़ी। क्योकि कि अब गाँव के पास इनको रोक रखने की समर्थ नही बची है।

         अलबत्ता हर  गाँव मे दो चार ट्रेक्टर एवं दो तीन गाँव के अंतराल मे धान काटने वाला एक हार्वेस्टर अवश्य  खड़ा मिल जाता है। क्योकि अब किसान  भी घाघ भड्डरी की कहनूत को कहा दोहराता है  ? कि,


समथर जोतय पूत चराबय,

सालय सार भुसउला छाबय।


सामन मास उठय जो गर्दा।

बीस बारिश तक जोतय बरदा।।


         यही कारण है कि किसान पूत और बरदा दोनो का घर से निकाला होचुका है। क्यो कि उनकी  अब गाँव मे कोई उपयोगिता ही नही बची है। 

        पुत्र तो कही गुजरात, गोबा ,मुम्बई में किसी की ताबेदारी कर रहा होगा तो होली दीवाली में कभी कभार घर आ भी जाय गा पर  दोनो बैल तो किसी बूचड़ खाने में कट  बीफ बन कर कब के विदेश चले गए होंगे। अस्तु वह अब कभी लौट कर घर नही आएंगे।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !