उज्जैन. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ कार्यक्रम में शामिल होने शुक्रवार सुबह उज्जैन पहुंचे. उन्होंने कार्यक्रम में वर्चुअली शिरकत की. दोनों ने महाकाल की पूजा-अर्चना भी की. इस दौरान कई अन्य नेता भी उनके साथ मौजूद थे. बता दें, प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ में शुक्रवार सुबह आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया. प्रदेश के 122 शिव मंदिर परिसरों में मंत्रियों, संगठन के पदाधिकारियों की मौजूदगी में केदारनाथ के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया गया.
आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्यान लगाया. पूजा-अर्चना के बाद पीएम मोदी ने की केदारनाथ धाम की परिक्रमा की. पीएम मोदी आज केदरानाथ में हैं. इस दौरान पीएम करोड़ों रूपयों की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. यह स्थान साल 2013 में आई प्राकृतिक आपदा में टूट गया था. दरअसल, शंकराचार्य की प्रतिमा से जुड़े कई अहम तथ्य हैं, जो इस आयोजन को और खास बना रहे हैं. अब विस्तार से समझते हैं.
कैसे चुनी गई प्रतिमा?
खबर है कि आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा तैयार करने के लिए कई मूर्तिकारों ने कोशिश की. आंकड़े बताते हैं कि प्रतिमा के करीब 18 मॉडल तैयार किए गए थे, लेकिन पीएम की सहमति के बाद एक मॉडल का चयन किया गया. मैसूर के कलाकार अरुण योगीराज के हाथों तैयार हुई इसी प्रतिमा का अनावरण पीएम मोदी करेंगे. खास बात यह है कि यह प्रतिमा केवल एक ही शिला से तैयार की गई है.
9 कलाकारों और 1 साल से ज्यादा की मेहनत
एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार, इस मूर्ति को तैयार करने का काम साल 2020 के सितंबर माह में शुरू हो गया था. करीब 9 कारीगरों ने लगातार मेहनत कर आदि गुरु शंकराचार्य का यह रूप तैयार किया. सितंबर में मूर्ति को चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से उत्तराखंड लाया गया था. कलाकारों की टीम ने इस प्रतिमा के लिए एक खास शिला चुनी. खास बात है कि 130 वजनी शिला को तराशने के बाद इका वजन 35 टन हो गया. बताया जा रहा है कि कलाकारों ने आदि गुरु शंकराचार्य के ‘तेज’ को दिखाने के लिए प्रतिमा पर नारियल के पानी का भी इस्तेमाल किया है. इसकी मदद से मूर्ति की सतह पर चमक बनी रहेगी. प्रतिमा की ऊंचाई करीब 12 फीट होगी.