विश्व पर्यावरण संतुलन एवं प्राणीजीवन के स्वास्थ्य संवर्धन के लिए किया वनांचल में यज्ञ
सुदूर वनांचल के ग्राम कालीघोड़ी में आदिवासियों को बताया वेदों तथा लकड़ियों का महत्व
AKHILESH BILLORE
Harda(UNI REPORTER)
विश्व पर्यावरण संतुलन एवं प्राणीजीवन का स्वास्थ्य संवर्धन के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार शाखा खिरकिया द्वारा मंगलवार को पूर्वाह्न में काली माता मंदिर प्रांगण कालीघोड़ी में गायत्री यज्ञ का आयोजन संपन्न हुआ। जिसमें गायत्री पूजन कर गायत्री मंत्रों एवं महामृत्यूंजय मंत्र की आहुति डाल कर यज्ञ सम्पन्न किया गया। गायत्री परिवार के पदाधिकारियों ने बताया कि यज्ञ से वायु मंडल शोधन का कार्य होता है जिससे प्राणी स्वस्थ रह सकेगा। यज्ञ से हमारा मन शांत होता है। एकाग्रता आती है, सुविचार आते है और मन पवित्र होता है। बच्चों को भी संस्कार मिलता है। प्रत्येक व्यक्ति पूजन करता है यदि पूजन के साथ गायत्री मंत्र की आहूति डाली जाती है तो परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को लाभ मिलेगा।
दूर-दराज के वनग्रामों से आए ग्रामीणों में यज्ञ के प्रति अच्छा उत्साह देखा गया। इसमें नजदीकी अंचल के ग्राम चालिदा,जामन्या सरसरी,दामजीपुरा,बागदा, चटटू–बट्टू, झिंझरी, आवलिया, मोरगड़ी एवं अन्य ग्रामों के लोग उपस्थित रहे ।गायत्री परिवार खिरकिया के प्रेम नारायण बोरसे और पंकज दुबे ने ग्रामीण जनों को यज्ञ के लिए उत्साहित कर कार्यक्रम को सफल बनाया। यज्ञ के बारे में वेदों से लेकर पूजन पद्धतियां तक में यज्ञ और हवन का महत्व बताया गया है। यज्ञ सनातन संस्कृति का हिस्सा है, यह सिर्फ धार्मिक काम भर नहीं है, यज्ञ का एक वैज्ञानिक महत्व है। इसमें जिन पेड़ों की लकडियों की समिधाएं उपयोग में लायी जाती हैं। उनमें विशेष प्रकार के गुण पाये जाते है। किस प्रयोग के लिए किस प्रकार की सामग्री डाली जाती है इसका भी विज्ञान है। यह संदेश वर्तमान युवा एवं आने वाली पीढियों तक पहुंचाना हैं। बोरसे ने ग्रामीणों से नशा मुक्ति का संकल्प कराया। गायत्री यज्ञ में गायत्री परिवार खिरकिया के स्थानीय स्वजन महेश सोनी,ओमप्रकाश देवराले,राजदीप शर्मा,कमलेश गुप्ता,सुभाष गुप्ता,पंकज दुबे,राजेश गौर उपस्थित थे।