सामूदायिक अस्पताल में धूल खा रही दान में मिली 10 लाख कीमत की सोनोग्राफी मशीन

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 सोनोलॉजिस्ट की कमी बताकर संचालन से पल्ला झाड़ रहे जिम्मेदार अधिकारी

 सामूदायिक अस्पताल में  धूल खा रही दान में मिली 10 लाख कीमत  की सोनोग्राफी मशीन

 जिम्मेदारों ने अब तक नहीं की रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति, 

जरूरतमंदों को सुविधा दिलाने में जनप्रतिनिधि भी बने असंवेदनशील 

  मंडीदीप।नगर के मरीजों की सुविधा के लिए सामूदायिक अस्पताल को एक सोनोग्राफी मशीन दान में मिली हैलेकिन जिला प्रबंधन द्वारा बरती जा रही लापरवाही के चलते साडे 4 साल साल बीतने के बाद भी इसे  शुरु नहीं कराया जा सका। जिससे एक और जहां दान में मिली10 लाख कीमत की यह मशीन धूल खा रही है।तो वहीं जरुरतमंद जांच सुविधा पाने के लिए भटक रहे है। जिला अधिकारी विभाग के पास सोनोलॉजिस्ट की कमी बताकर मशीन संचालन से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।इसका खामियाजा मरीजों विशेषकर गर्भवती महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। 

प्राइवेट सेंटरों पर सामान्य सोनोग्राफी कराने के लिए उन्हें मोटी रकम खर्चनी पड़ रही है।मगर जिम्मेदारों को इससे कोई सरोकार नहीं है। हालांकि अब देरी से जागे सीएमएचओ रायसेन से रिटायर्ड सोनोलॉजिस्ट को सप्ताह में 2 दिन मंडीदीप  भेजने की बात  कह रहे है। यदि है सुविधा मिलती है दो वंचित वर्ग के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।

             ज्ञातव्य है कि  वर्धमान कंपनी ने  नवंबर 2016 में इस सेंटर को सोनोग्राफी सहित करीब 35 लाख रु के चिकित्सा उपकरण और अन्य सामग्री दान की थी। अस्पताल को यह मशीन मिलने से गर्भवती महिलाओं को उम्मींद जागी थी कि अब उन्हें सोनोग्राफी जांच के लिए निजी सेंटरों की मंहगी जांच से मुक्ति मिल जाएगी,लेकिन साडे चार साल बीतने के बाद भी उन्हें यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है। यहां इस मशीन की कितनी जरुरत है इसकी सच्चाई का पता इससे लगाया जा सकता है कि अस्पताल में  प्रतिदिन  20 से 25 मरीज ऐसे आते हैं, जिन्हें सोनोग्राफी की जरुरत होती है। इसके बावजूद भी वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में लेतलाली बरत रहे हैं। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ ही स्थानीय और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा भी  सोनोलॉजिस्ट की नियुक्ति करने में जमकर कोताही बरती जा रही है। इससे आमजन में उनके प्रति आक्रोश पनप रहा है।

लेडी डॉक्टर को ट्रेनिंग दिलाई फिर भी नहीं मिली सुविधा:

  विभाग ने अस्पताल में पदस्थ महिला डॉक्टर सीमा जोशी को 4 साल पहले 15 दिन की ट्रैनिंग दिलाई थी ,लेकिन उन्होंने इस मशीन को ऑपरेट करने में दिलचस्पी नही दिखाई। इसी तरह तत्कालीन बीएमओ डॉक्टर के पी यादव भी रेडियोलॉजिस्ट है। परंतु सर्विस में रहते उन्होंने भी मशीन का संचालन नहीं किया। वहीं अब बीते माह 24 फरवरी को उनकी रेडियोलॉजिस्ट के पद पर संविदा नियुक्ति की गई है। लेकिन वह फिर भी यह काम नहीं कर रहे हैं। उच्चाधिकारी भी उनसे जांच कराने में नकाम साबित हो रहे हैं।  विभाग में रेडियोलॉजिस्ट की कमी है, परंतु प्राइवेट रेडियोलॉजिस्ट से अनुबंध कर उसकी सेवाएं लेकर आमजन को सुविधा दी जा सकती है परंतु वरिष्ठ अधिकारी इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दे रहे हैं। 

रेडियोलॉजिस्ट को बीएमओ का प्रभार देने से बिगड़ी व्यवस्था :

बता दें कि करीब ढाई साल पहले जिला प्रबंधन ने रेडियोलॉजिस्ट रजनीश सिंघई को मंडीदीप में सोनोग्राफी मशीन का संचालन करने का जिम्मा सौंपा था। वह सप्ताह में 3 दिन आते थे। परंतु कुछ समय बाद उन्हें उदयपुरा ब्लॉक का बीएमओ बना दिया गया। जिससे जरूरतमंदों को  थोड़े समय तक ही उनकी सेवाएं मिल पाई। इस तरह उनके जाने के बाद से सोनोग्राफी जांच सुविधा बंद हो गई।

डेढ़ साल से बंद पड़ी है मशीन:

दान में मिली है मशीन पिछले डेढ़ साल से बंद पड़ी है इसके पहले इसका संचालन प्राइवेट रेडियोलॉजिस्ट पिंकी पाटिल द्वारा किया जा रहा था लेकिन कोरोना महामारी की पहली लहर आने से उन्होंने यह काम बंद कर दिया। वह सप्ताह में 3 दिन अपनी सेवाएं देती थी। इससे जरूरतमंदों को बड़ी राहत मिली थी परंतु डॉक्टर पाटिल के काम छोड़ने के बाद से यह मशीन धूल खा रही है।

इनका कहना है-सोनोग्राफी जांच के लिए हमने एक रिटायर्ड रेडियोलॉजिस्ट से बात की है उन्होंने अपनी सहमति भी प्रदान कर दी है। शीघ्र ही मंडीदीप के नागरिकों को उनकी सेवाओं का लाभ मिलने लगेगा। 

डॉ दिनेश खत्री , सीएमएचओ रायसेन


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