बजट ने अटकाया दाहोद डैम का जीर्णोद्धार
स्थानीय कार्यालय 2 गेट बदलने और8 गेट की मरम्मत करने 4 साल से भेज रहा कार्य योजना, वरिष्ठ अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
मंडीदीप। प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षित और संवर्धन के लिए इन दिनों एक और जहां केंद्र सरकार जल शक्ति अभियान और भोपाल संभाग आयुक्त कविंद्र कियावत जल संचय अभियान संचालित करा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर औद्योगिक क्षेत्र की लाइफ लाइन कहे जाने वाले दाहोद जलाशय के रखरखाव और जीर्णोद्धार को लेकर जल संसाधन विभाग के अधिकारी संवेदनशीलता दिखाने की बजाय घोर अनदेखी कर रहे हैं। यह गंभीर लापरवाही तब देखने को मिल रही है जब विभाग को इस डैम से सालाना करीब डेढ़ करोड़ की आय प्राप्त होती है। परंतु इसके बाद भी अधिकारी जलाशय के जीर्णोद्धार को लेकर बेपरवाह बने हुए हैं। दरअसल विकास खंड कार्यालय द्वारा डैम की मरम्मत कराने के लिए बीते 4 साल से वरिष्ठ कार्यालय को 80 लाख रुपए का स्टीमेट बनाकर भेजा रहा है। लेकिन वरिष्ठ अधिकारी बजट की कमी बताकर उक्त स्टीमेट को कचरा पेटी में डाल देते हैं।
बता दें की वर्ष 1956 में इस डैम का निर्माण कराया गया था। इससे विभाग द्वारा एमपीआईडीसी को 6 एमसीएम, और औबेदुल्लागंज नगर पंचायत को 1.91 एमसीएम पानी सप्लाई किया जाता है इसके अलावा क्षेत्र के 12 गांव के किसानों को सिंचाई के लिए 40 प्रतिशत पानी आरक्षित किया जाता है। जिससे वे 1800 हेक्टेयर रकबे में फसलों की सिंचाई करते हैं। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी विभागीय अधिकारियों द्वारा इसके संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
यह काम होना है डैम में:
विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 65 वर्ष पुराने इस जलाशय में 18 गेट हैं। इनमें से कई गेट लंबे समय से देख रेख के अभाव में खराब हो चुके हैं। तो कई को मरम्मत की आवश्यकता है। इसी को देखते हुए स्थानीय अधिकारियों द्वारा 4 साल से 80 लाख रुपए का स्टीमेट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजा जा रहा है। इस कार्य योजना के अंतर्गत 18 में से 2 गेट बदलने के साथ ही 8 सीटों की मरम्मत कराई जाएगी। इसके अलावा कई छोटे-मोटे अन्य काम भी कराए जाएंगे।
12 साल पहले हुआ था जीर्णोद्धार:
ज्ञात है कि यह बांध 8.20 स्क्वायर वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसकी संग्रहण क्षमता 26.4 एमसीएम है। क्षेत्र के लोगों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा वर्ष 2009 में वर्ल्ड बैंक से प्राप्त सहायता राशि 4 करोड़ से बांध का जीर्णोद्धार कराया गया था। इसके अंतर्गत गेट बदलने पिचिंग का निर्माण,रोड निर्माण, नहर निर्माण , नहर पहुंच मार्ग , हेड रेगुलेटरी एवं शटर बदले जाने सहित कई अन्य काम कराए गए थे। जल उपभोक्ता समिति के पूर्व अध्यक्ष माखन सिंह परमार ने बताया कि काम की उच्च गुणवत्ता ना होने के कारण बांध कुछ समय में ही जर्जर हो गया। जिससे अब फिर इसके रखरखाव की मांग जल उपभोक्ता समिति के साथ किसानों द्वारा की जा रही है।
यह होगा लाभ:
जल उपभोक्ता समिति के पूर्व अध्यक्ष माखन सिंह परमार ने बताया कि जलाशय के जीर्णोद्धार होने से लीकेज रुकेंगे। जिससे पानी बर्बाद नहीं होगा। और औद्योगिक क्षेत्र के साथ किसानों को मांग के अनुसार पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सकेगा।
इनका कहना है
दाहोद जलाशय के जीर्णोद्धार के लिए हम पिछले 4 साल से वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्ताव भेज रहे हैं, परंतु विभाग के पास पर्याप्त बजट ना होने के कारण स्टीमेट को स्वीकृति नहीं मिल पा रही है।
संजीव शर्मा, एसडीओ जल संसाधन विभाग औबेदुल्लागंज
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