अनुशासित जैन समाज का सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर में पाषाण से परमात्मा बनने का महोत्सव पंचकल्याणक हुआ संपन्न
वर्तमान के वर्धमान आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में
मोक्षकल्याणक पर मेघों ने किया श्रीजी का अभिषेक
AKHILESH BILLORE (UNI), HARDA (M.P.)
हरदा : नर्मदा नदी के नाभि स्थल नेमावर में आकार ले रहे जैन समाज के तीर्थस्थल सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र में आखिर वो अवसर आ ही गया जिसकी प्रतिक्षा हर जैन धर्मावलंबियों को थी। गत 15 जून से सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र में आयोजित पाषाण से परमात्मा बनने के महोत्सव का ऐतिहासिक पंचकल्याणक एवं विश्वशांति महायज्ञ आज मोक्षकल्याणक के साथ संपन्न हो ही गया। जिसके शिल्पकार रहे वर्तमान के वर्धमान, प्रसिद्ध संतशिरोमणी आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज ओर उनके संघस्थ मुनिराजगण, क्षुल्लकजी ओर ब्रह्मचारी भैयाजी...! जिसमें कुशल निर्देशन रहा सुप्रसिद्ध प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी विनय भैय्या (बंडा) का...।
उक्त जानकारी देते हुए हरदा जैन समाज के अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन एवं ट्रस्टी राजीव रविन्द्र जैन ने बताया कि शासन की कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अनुशासित रूप से संपन्न हुए इस पंचकल्याणक ने एक ऐतिहासिकता भी जैन समाज में कायम की, जिसमें अनुशासित समाज, अनुशासित आयोजकों ने चुनिंदा पात्रों के साथ भव्यता लिये गरीमामयी रूप से आयोजन को शासन के द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करते हुए संपन्न करवाया।
15 जून से प्रारंभ हुए इस ऐतिहासिक पंचकल्याणक में आज अंतिम दिन 21 जून को वेदी प्रतिष्ठा के समय मेघों ने श्रीजी का अभिषेक कर उपस्थित जनसमुदाय में उत्साह ओर उल्लास का अभूतपूर्व संचार कर दिया। जिनशासन, जैन धर्म और आचार्य श्री के जय जयकारों से क्षेत्र गुंजायमान हो गया।
श्री दिगंबर जैन रेवातट सिद्धक्षेत्र ट्रस्ट कमेटी के तत्वाधान में आयोजित इस आदर्श पंचकल्याणक का पारस चैनल, जिनवाणी चैनल तथा आगमवाणी यूट्यूब चैनल पर कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किए जाने की व्यवस्था की गई थी। जिससे जैन धर्मावलंबियों ने अपने घर बैठे-बैठे ही आत्म कल्याण के इस महोत्सव के आनंद लिया ओर इसके अविस्मरणीय क्षणों के साक्षी बन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
इस ऐतिहासिक पंचकल्याणक का सफल आयोजन पंचकल्याणक समिति के कार्याध्यक्ष राजीव जैन, इंदौर एवं क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय जैन मैक्स इंदौर, कार्यकारी अध्यक्ष सुरेश काला, कोषाध्यक्ष महेन्द्र अजमेरा आदि के सहयोग से संपन्न हुआ।