स्वास्थ सुविधाएं बढ़ने की उम्मीदें हुई धूमिल जिले से स्वास्थ्य मंत्री बनने से भी नहीं सुधरा हेल्थ सिस्टम
ब्लॉक में स्वास्थ्य सेवाओं की सेहत ठीक नहीं,
कहीं आरोग्यं केंद्रों पर ताले लटके तो कहीं भवन ही नहीं
मंडीदीप। सब डिवीजन में स्वास्थ्य का पाया बहुत कमजोर है स्थिति यह है कि यहां के स्वास्थ्य केंद्रों में आवश्यकता के अनुसार डॉक्टर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ पदस्थ होना तो दूर शासन ने जो पद स्वीकृत किए हैं उनमें से भी आधे से अधिक खाली पड़े हुए हैं ऐसे भी
ब्लॉक डॉक्टरों और संसाधनों की भारी कमी से जूझ रहा हैं इस मामले में जिले की स्थिति भी अच्छी नहीं हैं। यहां के स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य का ढांचा बदहाल हैं। हालात इतने बदतर हैं कि कई गांव में स्वास्थ्य केंद्र भवन ही नहीं बने हैं और जहां बने भी हैं तो वहां लंबे समय से ताले लटके हुए हैं तो इस कारण मरीजों को उपचार कराने के लिए 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तय कर शहर आने को मजबूर होना पड़ रहा है। अस्पतालों में सबसे बड़ी कमी स्त्री रोग विशेषज्ञ (गाइनोलॉजिस्ट) डॉक्टरों की है।इनके आलावा जनरल फिजीशियन और जनरल सर्जन नहीं हैं।वहीं रेडियोंलॉजिस्ट की कमी से गर्भवती महिलाऔं और अन्य जरूरतमंदों को मंहगी सोनोग्राफी जांच कराने को मजबूर होना पड़ रहा हैं ।
ब्लॉक की आबादी करीब 2.75 लाख है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इतनी बड़ी आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए पूरे विकासखंड में 3 प्राथमिक और 3 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केंद्रों के साथ 33 उप स्वास्थ्य केंद्र तो खोल दिए परंतु उनमें डॉक्टर और नर्स ही नहीं है । इसका पता इस बात से चलता है कि स्वास्थ्य विभाग ने लोगो को सेहतमंद रखने के लिए 30 डॅाक्टर,40एएनएम और इतने ही एमपीडल्यू कार्यकर्ताओं के पद स्वीकृत किए हैं लेकिन । इनमें से 14 डॅाक्टर, 21 एमपीडल्यू और 17 एएनएम के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हुए है । स्थिती यह है कि क्षेत्र की करीब डेढ़ लाख महिलाऔं की प्रसव कराने का जिम्मा सिर्फ 1 गाइनोलॉजिस्ट के कंधो पर हैं। बड़ी बात यह है कि ओपीडी के बाद इन चिकित्सकों की सुविधा भी गर्भवती महिलाओं को नहीं मिलती। इस तरह यहां डॉक्टरों की उपलब्धता नहीं हो पाने के कारण मरीजों को निजी चिकित्सकों के पास उपचार कराना पड़ता है।
15 से 18 गांवों की आबादी एक एएनएम और एमपीडल्यू कार्यकता के जिम्में
ब्लाक में स्वास्थ्य सेवाओं की सेहत बेहद खराब है। सबसे अधिक खराब स्थिती ग्रामीण क्षेत्रौ की है। जहां डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है।ऐसे में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा केन्द्र में डॉक्टरों की कमी के चलते वह खुद बीमार है।जिससे बड़ी आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। स्थिती यह है कि यहां के स्वास्थ्य केंद्र पीएचसी एंव सीएचसी डॅाक्टरों कि भारी कमी से जूझ रहे हैं। वहीं सेमरी कला,, झिरपई , सलकनी , तामोट, पिपलिया गोली और , ख परिया खापा आदि उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिती तो और भी गंभीर है। यहां भवन ही नहीं है और बरखेड़ा सेतु ,आशापुरी सहित अन्य आरोग्यं केंद्रों में , भवन है तो उन केंद्रों में स्वास्थ्य कार्यकता ना पहुंचने के कारण ताले लटके हुए है । पूरे ब्लॅाक में केवल 16 डॅाक्टर ही है जिनके कंधों पर करीब 2.75लाख की आबादी को स्वस्थ रखने का जिम्मां है। इधर यदि मेदानी अमले की बात करे तो एक एएनएम और एमपीडल्यू कार्यकता के जिम्में 15 से 18 गांवों की आबादी की सेहत का ख्याल रखने की जबावदारी है ।
जिले से स्वास्थ्य मंत्री बनने से बड़ी थी उम्मीदें
कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष महेश जैन बताते हैं कि साँची विधानसभा से डॉ. प्रभुराम चौधरी भाजपा की शिवराज सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए हैं। इससे जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीद थी उन्हें स्वास्थ्य मंत्री का जिम्मा संभाले हुए 1 साल बीत चुका है परंतउ 1 साल बीतने के बाद भी जिले को स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई बड़ी सौगात नहीं मिल पाई।
इनकी आवश्यकता है
गोहरगंज स्थित सीएचसी में 5 डॉक्टर होने चाहिए परंतु वहां एक एमबीबीएस और एक आयुष डॉक्टर ही है जबकि ओबैदुल्लागंज सीएचसी में अभी 4 डॉक्टरों की और आवश्यकता है !
मंडीदीप और औबेदुल्लागंज के सीएचसी में जनरल फिजीशियन,जनरल सर्जन गाइनोलॉजिस्ट और नेत्ररोग विशेषज्ञ तो है ही नहीं साथ ही ,स्त्रीरोग विशेषज्ञ,पैरामेडीकल स्टाफ और कर्मचारियों की भारी कमी बनी हुई हैं।रेडियोंलॉजिस्ट की भी लंबे समय से मांग की जा रही हैं।
इनका कहना है-
ब्लॉक में स्त्रीरोग विशेषज्ञ की भारी कमी हैं।इनके आलावा जनरल फिजीशियन,जनरल सर्जन,नेत्ररोग विशेषज्ञ के साथ रेडियोंलॉजिस्ट भी नहीं हैं। इसलिए स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका असर पड़ता है। फिर भी प्रयास है कि उपलब्ध संसाधनों में बेहतर सेवाएं दे पाएं।
डॉ.अरविंद सिंह चौहान , बीएमऔ,औबेदुल्लागंज
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