योग पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाएँ - श्रीमती पटेल

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 योग कार्य-कुशलता में करता वृद्धि

राज्यपाल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विद्याभारती के कार्यक्रम में शामिल हुई
योग पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाएँ -  श्रीमती पटेल


रायसेन,- राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि योग से काम करने की कुशलता में वृद्धि होती है। कार्य की गुणवत्ता, गतिशीलता बढ़ती है। व्यक्ति के व्यवहार में संवेदनशीलता आती है। योग व्यक्ति को  अन्य लोगों के साथ जोड़ता है। उन की समस्याओं के समाधान का सामर्थ्य भी बढ़ाता है। राज्यपाल श्रीमती पटेल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विद्या भारती द्वारा आयोजित कार्यक्रम को आज ऑनलाइन राजभवन लखनऊ से संबोधित कर रही  थी।
      राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि मोबाइल ने आज पूरी दुनिया को बदल दिया है। लोग अधिकांश समय मोबाइल पर व्यतीत करने लगे हैं। उनको बदलने और नया सिखाने का सबसे उपयुक्त तरीका योग है। शिक्षण संस्थाओं द्वारा  इस दिशा में प्रभावी प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि गुजरात में शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने  कक्षा 1 से लेकर 8 तक के पाठ्यक्रम मे योग को सम्मिलित किया था। योग का पाठ्यक्रम तैयार कराकर लाखों शिक्षकों का प्रशिक्षण कराया गया था। पाठ्यक्रम में योगाभ्यास से बौद्धिक शारीरिक आध्यात्मिक शक्ति कैसे बढ़ती है। इसमें योग की उपयोगिता और अभ्यास के लाभों के संबंध में विस्तृत जानकारी शामिल की गई थी। इसके आधार पर गुजरात  के स्कूलों में बच्चे प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस कार्य में विद्या भारती का भी सहयोग प्राप्त किया था। उन्होंने कहा कि योग अभ्यास बच्चों के साथ ही अधिकारी कर्मचारियों के लिए भी बहुत उपयोगी है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने कर्मयोगी कार्यक्रम शुरू किया था यह 15 दिन का आयोजन होता था। मुख्यमंत्री, मंत्री, अखिल भारतीय सेवाओं के समस्त अधिकारी कर्मचारी शामिल होते थे। इस अभियान के दौरान सभी को प्रातः 5रू00 बजे उठना, टहलना, दौड़ना और योग का अभ्यास करना होता था। इस अभियान से अधिकारी कर्मचारी के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आया जिसका फायदा जनता और सरकार दोनों को प्राप्त हुआ।
    राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने योग फिटनेस और आहार पर बहुत अधिक ध्यान दिया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी योग को शामिल किया गया है। अब विश्वविद्यालय और विद्यालयों में योगिक क्रियाओं को सम्मिलित करते हुए पाठ्यक्रम बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि योग पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाया जाए आज योग प्रशिक्षकों की बड़ी माँग है। इसलिए विश्वविद्यालय महाविद्यालय योग के सर्टिफिकेट, स्नातक और परास्नातक कोर्स शुरू करें। योग के क्षेत्र में शोध अनुसंधान करें। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के राज्यों में विश्वविद्यालय योग पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं। जिन्हें करके छात्र-छात्राएँ स्वयं योग करना सीखेंगे और दूसरों को भी सिखाने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि योग की अनुपम सौगात 5 हजार वर्ष पूर्व महर्षि पतंजलि ने दी। ऋषि मुनियों के निरंतर शोध और अनुसंधान के फलस्वरूप योग का वर्तमान स्वरूप निर्मित हुआ है। आज सारी दुनिया योग दिवस मना रही है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को है, जिन्होंने वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र संघ में योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव विस्तार से योग की विशेषताओं को बताते हुए कहा कि योग जीवन को रोग मुक्त बनाने का विज्ञान है, यह एक दूसरे को जोड़ते हुए बिना किसी भेदभाव के व्यक्ति के जीवन को उच्चतम और संस्कारित करने का अभ्यास है।
    राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि कोरोना महामारी के कठिन दौर की विभिन्न समस्याओं का सामना करने में योग ने बहुत सहयोग किया है। लॉकडाउन के दौरान परिवार के सभी सदस्य घर पर रहे और एक साथ योगाभ्यास करना शुरु कर दिया है। उन्होंने कहा कि योग अभ्यास के साथ ही पौष्टिक आहार पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि महामारी के कठिन दौर में चिकित्सकों ने योग का सुरक्षा कवच बनाकर रोगियों की सेवा की है। अस्पतालों में भी डॉक्टरों नर्सों ने रोगियों को योगाभ्यास करा कर, उनकी आत्मिक शक्ति को मजबूत बनाया है। उन्होंने कहा कि योग  एक दूसरे को जोड़ता है। व्यक्ति को समाज से बच्चों को माता-पिता से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि योग के लिए दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करने की विद्या भारती की यह पहल सराहनीय है।
    अखिल भारतीय विद्या भारती प्रत्यक्ष शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष श्री रामकृष्ण ने कहा कि विकसित, संतुलित, प्राणिक, आध्यात्मिक और आत्मिक विकास के लिए योग आधारित जीवन पद्धति जरूरी है। योगाभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शरीर की समस्त गतिविधियाँ तेज होती हैं। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि एकाग्रता के साथ आहार नियमावली का पालन करते हुए योग का नियमित अभ्यास आवश्यक है। इससे जीवन में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शरीर की समस्त गतिविधियाँ तीव्र हो जाती हैं। व्यक्तित्व संवेदनशील और सेवाभावी बनता है। उन्होंने कहा कि योग को भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग के रूप में सदियों से जाना जाता रहा है लेकिन आज दुनिया ने इसे वैज्ञानिक और शास्त्र आधारित रूप में स्वीकार किया है। दुनिया के सभी लोग योग आधारित जीवन  पद्धति को अपनाना चाहते हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भव्य और दिव्य कार्यक्रम आयोजित करने के लिए विद्या भारती के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में क्षेत्रीय संगठन मंत्री, मध्यक्षेत्र  भालचंद्रजी, विद्या भारती की अखिल भारतीय संयोजिका सुश्री रेखा बेन जी बहुत बड़ी संख्या में देश-विदेश से जुड़े परिवार और अन्य स्त्री पुरुष ऑनलाइन शामिल हुए।

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