किसानों के लिए अच्छी खबर मिट्टी परीक्षण करवाने से सुधारी खेतों की सेहत जिससे 2 प्रतिशत उत्पादन बड़ा तो डीएपी और यूरिया का 5 प्रतिशत उपयोग घटा,

0


किसानों के लिए अच्छी खबर

मिट्टी परीक्षण करवाने से सुधारी खेतों की सेहत

जिससे 2 प्रतिशत उत्पादन बड़ा तो डीएपी और यूरिया का 5 प्रतिशत उपयोग घटा,

अच्छी फसल और पैदावार बढ़ने से आ रहा किसानों की माली हालात में सुधार

मंडीदीप।मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जैसे समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण कराने की आवश्यकता होती है।  वैसे ही अच्छी फसल व पैदावार बढ़ाने के लिए मिट्टी की जांच भी जरूरी होती है। ब्लॉक के किसान इसी बात को ध्यान में रखकर समय-समय पर मिट्टी परीक्षण करा रहे हैं। इससे किसानों के खेतों में न केवल पैदावार बढ़ गई है बल्कि अधिक उत्पादन से उनकी माली हालत में भी सुधार आया है। 5 साल पहले तक जो किसान मिट्टी के पोषक तत्वों की कमी से तो अनजान बने ही थे वे परंपरागत खेती कर घाटे की खेती करने को मजबूर थे, परंतु अब वे मिट्टी परीक्षण करवाकर उसकी सेहत सुधार कर मुनाफे की खेती कर रहे हैं।

मृदा परीक्षण कार्ड बनाने की शुरुआत 2016 में हुई। उसके बाद से ब्लॉक के करीब22 हजार किसानों ने मृदा परीक्षण कार्ड बनवाया है। तीन साल में एक बार बनने वाले इस कार्ड के कारण से उत्पादन में  2 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। पहले जहां क्षेत्र के किसान 38 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं का उत्पादन लेते थे। वहीं अब वे  40 से 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज ले रहे हैं। उनके बढ़ते हुए उत्पादन का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जहां बीते वर्ष खाद्य विभाग ने समर्थन मूल्य पर किसानों से 13 लाख 39 हजार 600 क्विंटल गेहूं की खरीदी की थी वहीं इस बार 14 लाख 28 हजार 799 क्विंटल गेहूं खरीदी की।  

यूरिया की 1000 टन खपत हुई कम:

पहले किसान मिट्टी के पोषक तत्वों से अनजान थे तो यूरिया का उपयोग अधिक करते थे । अकेले रबी सीजन में ही 7000 टन यूरिया की खपत होती थी हालांकि अब इसमें एक हजार मीट्रिक टन की कमी आती गई है।  जबकि जिंक में  10 से 15 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है।

हाई लो कैटेगरी में पहुंच गया था स्तर:

  5 साल पहले क्षेत्र की मिट्टी में जिंक सल्फेड,पोटाश एवं मोलीब्डेलन तत्वों की भारी कमी हुआ करती थी। जिससे क्षेत्र हाई लो कैटेगरी में जा पहुंचा था। इससे उत्पादन घटता जा रहा था और किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा साबित हो रही थी। लेकिन पीएम मोदी के मिट्टी की सेहत सुधारने चलाए गए अभियान के अंतर्गत  विभाग द्वारा किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने लेकर उनकी लैब में जांच कराई गई।  इस के साथ ही  किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड भी बांटे गए। इसका परिणाम यह हुआ कि किसानों को  मिट्टी में आई पोषक तत्वों की कमी की जानकारी मिली तो उन्होंने कृषि विशेषज्ञों की सलाह से इनकी ना केवल पूर्ति की बल्कि रासायनिक खाद का कम से कम उपयोग कर अधिक से अधिक उत्पादन भी लिया ।

यह हुआ फायदा:

मिट्टी की जांच से किसानों को मिट्टी के सूक्ष्म और मुख्य पोषक तत्वों की जानकारी मिलने लगी और वे इसके अनुसार पोषक तत्वों की पूर्ति कर मिट्टी की सेहत सुधारने लगे। 

क्या कहते हैं किसान

सतलापुर के किसान राकेश लौवंशी पीएम की इस योजना की सराहना करते हुए कहते हैं कि अब तक किसान परपंरागत ढंग से खेती करने को मजबूर थे। उसे पता ही नहीं था कि उसके खेत की मिट्टी में कौन से पोषक तत्त्वों की कमी है। अब वह आसानी से यह जान कर उसकी पूर्ति कर रहा है। पडोनिया के किसान अरविंद सेंधवा का कहना है कि किसान गैर अनुभव के आधार पर फसल की बोबनी करते थे। कृषक को ये भी पता नहीं रहता था कि उसकी भूमि में प्रचुर मात्रा में उर्वरक है या नहीं, लेकिन अब मिट्टी परीक्षण कराकर हमें मार्गदर्शन के आधार पर  खेती करने से लाभ मिल रहा है। अब हम पहले की अपेक्षा यूरिया का काम और जिंक का अधिक उपयोग कर अच्छी उपज ले रहे हैं।

एक नजर में  

किसानों की संख्या-23014

लघु किसान (एक हेक्टेयर से कम)-6350

सीमांत किसान (एक से दो हेक्टेयर)- 5880

मध्यम कृषक- 5863

बड़े कृषक-3921

मृदा परीक्षण कराने वाले किसान- 22000

यूरिया की वार्षिक खपत-7 हजार मीट्रिक टन से घटकर 6000 मीट्रिक टन रह गई है,

इनका कहना है

क्षेत्र कि मिट्टी में जिंक, पोटाश, बोरान एवं न्यूट्रान समेत अन्य पोषक तत्वों की कमी थी। जिसे  किसानों ने मिट्टी परीक्षण कराकर ना केवल दूर किया बल्कि 2 प्रतिशत से अधिक उत्पादन भी ले रहे। 

डीएस भदौरिया,कृषि विकास अधिकारी औबेदुल्लागंज

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !