13 राज्यों के 90 तितली विशेषज्ञों ने भाग लिया
सर्वेक्षण में लगभग 55 प्रजातियां मिली
जानकारी के अनुसार इस तितली सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य रातापानी अभ्यारण के विभिन्न तितलियों की सूची तैयार करना है। जिससे उनके संरक्षण का कार्य प्रभावी ढंग से किया जा सके। साथ ही आमजन में तितलियों के प्रति जागरूकता भी पैदा करना है।
विशेषज्ञो ने बताया कि तितलियों का पारिस्थितिकीय तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है, इनके द्वारा विभिन्न पादप प्रजातियों एवं फसलों के परागण का कार्य किया जाता है। तितली की कुछ प्रजातियां कीट नियंत्रण में भी बहुत आवश्यक है। तितलियां स्वस्थ्य पर्यावरण का भी प्रतीक हैं। तितलियों का संरक्षण न केवल वन संवर्धन बल्कि कृषि संवर्धन और खाद्य सुरक्षा के लिए भी बहुत आवश्यक है।
रातापानी वन्य जीव अभ्यारण्य में तीन दिवसीय तितली सर्वेक्षण का कार्यक्रम 10 सितम्बर 2021 से 12 सितम्बर 2021 तक किया जा रहा है। इसमें 13 राज्यों के 88 तितली विषेषज्ञों ने भाग लिया। 88 प्रतिभागीयों को 34 टीमों में विभाजीत किया गया है, जो रातापानी अभ्यारण्य में फैली 80 ट्रेल्स पर सर्वेक्षण का कार्य कर रहीं है। आज दिनांक दूसरे दिन इन 34 टीमों नें सुबह एवं सायं में लगभग 60 टेªल्स पर सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में लगभग 55 प्रजातियां मिली, जिन्हें सूचीबद्ध किया गया। पाई गई प्रजातियों में कोमन ग्रास येलो, क्रिसमन रोज, कोमन जेजेबल, प्लेन टाईगर, बेरोनेट, चौकलेट पेन्सी, व्लू पेन्सी, ग्रेट एगफ्लाई इत्यादि प्रमुख हैं। वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्रजातियां जैसे - कोमन पाईरट, ग्राम ब्लू, कोमन गल, डेनेट एगफ्लाई इत्यादि भी पाई गई। सर्वे में वन विभाग से तितली विषेषज्ञ रिटायर्ड प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एन.एस.डंुगरियाल, अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक के. रमन तथा अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक शुभरंजन सेन ने भी भाग लिया।