रायपुर। रेबीज एक जानलेवा बीमारी है। यदि समय पर इलाज उपलब्ध नहीं कराया गया तो संक्रमण की वजह से मृत्यु निश्चित है। जानवरों के काटने या खरोच से यह बीमारी फैलती है। रेबीज के सामने आने वाले केस में 90 फीसद कुत्ता काटने के मरीज होते हैं, जबकि 10 फीसद मरीज अन्य जानवरों के काटने से सामने आते हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. मीरा बघेल ने बताया कि रेबीज बीमारी कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि जानवरों के काटने या खरोचने के कारण हो सकता है। यह वायरल संक्रमण है, जो मनुष्य और जानवर में हमेशा ही घातक होता है। इस बीमारी से बचना पूरी तरह संभव है।
मनुष्य में रेबीज होने के लक्षण
रेबीज इंफेक्शन एक विशेष प्रजाति के न्यूरोट्रापिक वायरस के कारण होता है, जिससे रेप्टो वायरस भी कहा जाता है। रेबीज होने पर बुखार आने लगता है। संक्रमित जानवर जहां काटता है, वहां झुनझुनी होने लगती है। थकावट महसूस करना, मांसपेशियों में जकड़न, चिड़चिड़ापन, उग्रता, स्वभाव में परिवर्तन, व्याकुलता, लार एवं आंसू का ज्यादा आना, बोलने में तकलीफ होना, अंधेरे में रहना पसंद करना आदि इसके प्रमुख लक्षणों में से है।
रेबीज से बचने के उपाय
समय-समय पर पालतू जानवरों का टीकाकरण करवाएं, अंधविश्वास से बचें, घाव पर मिर्च, सरसों का तेल आदि कोई अन्य पदार्थ न लगाएं, घाव को साबुन और बहते साफ पानी से तुरंत धोएं व स्प्रिट, अल्कोहल या घरेलू एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल करें। अपने चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें। निकटतम एंटी रेबीज क्लिनिक में जाएं तथा डाक्टरों की सलाह अनुसार एंटी रेबीज टीकाकरण का कोर्स पूरा करें।