रायपुर। हमारे देश के ज्यादातर नेता केवल अपने स्वार्थ की राजनीति करते हैं, वे देश की प्रगति, शांति के बारे में जरा भी नहीं सोचते। वोट की राजनीति के चलते जाति, पांति का द्वेष बढ़ता जा रहा है। मतांतरण को रोकने में सभी प्रदेशों की सरकार नाकाम है, हिंदू धर्म को क्षति पहुंचाने की साजिशें चल रहीं है। नेताओं को राजनीति की परिभाषा क्या है, यही नहीं पता। हिंदू राष्ट्र बनने के बारे में कोई नेता नहीं सोचता। सभी को अपने वोट बैंक की चिंता है। यह कहना है गोवर्धनमठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का।
पैसों के दम पर चुनाव, कहां से आएगी नैतिकता
रावांभाठा स्थित सुदर्शन संस्थानम में पत्रकारों के सवालों के जवाब में शंकराचार्य महाराज ने देश की सभी राजनीतिक पार्टी के नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि किसी नेता को देश की फिक्र नहीं है। हम किसी पार्टी के दम पर नहीं, बल्कि देश की जनता को साथ लेकर भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने का प्रयास कर रहे हैं।हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में हमारा देश हिंदू राष्ट्र बनकर रहेगा। राजनीति की असली परिभाषा है कि समाज सुसंस्कृत हो, शिक्षित हो, स्वस्थ हो, सर्वजनहिताय की भावना हो। अच्छे लोग राजनीति में नहीं आते, पैसों के दम पर चुनाव जीता जाता है, फिर नैतिकता कहां से आएगी|