भोपाल । चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस संगठन ने उन नेताओं से किनारा कर लिया है जो चुनाव प्रचार में केवल मुंह दिखाने या राजनीतिक पर्यटन के लिए जाते हंै। संगठन से स्पष्ट कहा है कि जिनको काम करना है वे पूरे समय वहां रूककर काम करें, नहीं तो 2-3 दिन के लिए वहां जाने की जरूरत नहीं है।उपचुनाव घोषित होते से ही अधिकांश नेता अपने-अपने नेताओं के इलाकों में प्रचार के बहाने घूमने चले जाते हैं। ऐसा ही कुछ अभी उपचुनाव में हो रहा है। एक लोकसभा और 3 विधानसभा उपचुनाव में पार्टी ने सभी पूर्व मंत्रियों और विधायकों की ड्युटी लगाई है, लेकिन उनके समर्थक भी बड़ी संख्या में वहां आ-जा रहे हैं। विशेषकर जोबट विधानसभा में तो नवरात्रि के बाद कई नेताओं ने जाने की सहमति दी है लेकिन पीसीसी ने स्पष्ट कहा है कि जो नेता वहां जाएगा उसे 28 अक्टूबर तक वहीं रहना होगा। एक-दो दिन के लिए किसी को भी संगठनात्मक दुष्टिसे नहीं भेजा जाएगा। वे चाहे तो व्यक्तिगत रूप से वहां जाकर प्रचार कर सकते हैं, लेकिन पार्टी लाइन से प्रचार करने के लिए उन्हें बड़े नेताओं की अनुमति लेना होगी और जिस क्षेत्र में उन्हें तैनात किया जाएगा, वहां अंत तक रहना होगा। पार्टी लाइन से हटकर वे प्रचार नहीं कर सकेंगे और अपने हिसाब से यहां-वहां घूम सकेंगे।


नेताओं को जवाबदारी बांटी
वैसे अधिकांश नेता अभी से राजनीतिक पर्यटन के हिसाब से वहां डेरा डालने का मन बना चुके हैं। जोबट विधानसभा उपचुनाव के प्रभारी बनाकर भेजे गए खरगोन विधायक रवि जोशी ने भी ऐसे नेताओं पर रोक लगा रखी है। इसके पहले भी चुनाव को लेकर लंबा अनुभव रखने वाले जोशी ने जोबट में इस तरह से नेताओं को जवाबदारी बांटी है, जिससे कांग्रेस को फायदा मिल सके। चूंकि गुरूवार नवरात्रि समाप्त हो रहे हैं और फिर दशहरे के बाद चुनाव प्रचार चरम पर पहुंचेगा, इसको लेकर भी पार्टी ने कई बड़े नेताओं की सभाएं, नुक्कड़ सभाएं और बैठकों की तैयारी की हैँ, जिसमें कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। सुलोचना रावत के यहां से प्रत्यायाी बनने और उनके सामने महेश पटेल को कांग्रेस से लड़ाने के बाद मुकाबला कड़ा हो गया है।