चीन  | बीते कुछ दिनों से चीन लगातार ताइवान को अपनी ताकत का धौंस दिखा रहा है, जिसकी वजह से चीन और ताइवान बीच सैन्य तनाव बढ़ गया है। हाल के दिनों में चीन ने ताइवान के क्षेत्र में ताबड़तोड़ लड़ाकू विमानों की घुसपैठ की है और 1 अक्टूबर से लेकर अब तक ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में करीब 150 चीनी लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी है। चीन की यह धौंस ऐसे वक्त में देखने को मिल रही है, जब कुछ दिन बाद अमेरिका के साथ बीजिंग बातचीत करने वाला है। माना जा रहा है कि चीन अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए यह रणनीति अपना रहा है। गौरतलब है कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है, जबकि ताइवान अपने आप को संप्रभु देश बताता है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को घोषणा की कि स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की केंद्रीय समिति पोलित ब्यूरो के सदस्य यांग जिची और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन के बीच बैठक से पहले तनाव में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। दरअसल, स्विट्जरलैंड ज्यूरिख में यह बैठक आज ताइवान सहित कई मुद्दों पर बीजिंग और वाशिंगटन के बीच बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि में हो रही है। मार्च में अलास्का में हॉट मीटिंग के बाद से यांग के साथ अमेरिकी एनएसए सुलिवन की यह पहली आमने-सामने की बैठक होगी। अलास्का की बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी शामिल थे और तीखी नोक-झोंक देखने को मिली थी। 

चीन ने बीते शुक्रवार को अपने राष्ट्रीय दिवस पर शक्ति प्रदर्शन करते हुए स्व-शासित ताइवान की ओर 38 लड़ाकू विमान भेजे थे। हालांकि, इसके अगले दिन भी चीन ने ताइवान में अपने लड़ाकू विमान भेजे थे। ताइवान की राजधानी ताइपे में देश के रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन के साथ सैन्य तनाव 40 से अधिक वर्षों में सबसे खराब स्थिति में है। बता दें कि हाल के दिनों में ताइवान के वायुक्षेत्र में बड़ी संख्या में चीनी लड़ाकू विमानों को देखा गया है।

रक्षा मंत्री चीउ कुओ-चेंग ने कहा कि सेना में शामिल होने के बाद से वे अब तक की सबसे खराब स्थिति को देख रहे हैं। उनका कहना है कि 40 से अधिक वर्षों में स्थिति सबसे गंभीर है। उन्होंने ताइवान में "मिसफायर" के खतरे का अंदेशा भी जताया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने उन्हें बुधवार को एक संसदीय समिति को बताते हुए कोट किया कि मेरे लिए एक सैन्य आदमी के रूप में यह एक अर्जेंसी जैसा है। बता दें कि ताइवान की संसदीय समिति मिसाइलों और युद्धपोतों सहित घरेलू हथियारों के लिए $240 बिलियन (8.6 बिलियन डॉलर) के विशेष सैन्य खर्च की समीक्षा कर रही है, जिसे अमेरिका से खरीदा जाना है।

इस बीच बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के हुआ चुनयिंग ने क्षेत्र में बढ़े हुए तनाव के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया और अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि ताइवान के पास चीन की उत्तेजक सैन्य गतिविधि से अमेरिका बहुत चिंतित है। चीनी विदेश मंत्रालय के हुआ चुनयिंग ने एक बयान में कहा, 'ताइवान चीन का है और अमेरिका को गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने का कोई हक नहीं है।' हुआ ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी पक्ष की यह टिप्पणी एक-चीन सिद्धांत और चीन-अमेरिका संयुक्त विज्ञप्ति की तीन शर्तों का गंभीर उल्लंघन करती है। इतना ही नहीं, अमेरिका की यह टिप्पणी एक बेहद गलत और गैर-जिम्मेदाराना संकेत देती है।

अमेरिका पर आरोप लगाते हुए चीनी मंत्रालय की हुआ ने कहा कि काफी समय से अमेरिका ताइवान को हथियार बेचकर और ताइवान के साथ आधिकारिक और सैन्य संबंधों को मजबूत करके नकारात्मक कदम उठा रहा है, जिसमें ताइवान को 750 मिलियन डॉलर की हथियार बेचने की योजना, ताइवान में अमेरिकी सैन्य विमानों की लैंडिंग और ताइवान जलडमरूमध्य में अमेरिकी युद्धपोतों की तैनाती संबंधी प्लान शामिल हैं। 

चीन ने कहा कि अमेरिका के ये उत्तेजक कदम चीन-अमेरिका संबंधों और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करते हैं। चीन उनका कड़ा विरोध करता है और उसने आवश्यक जवाबी कदम उठाए हैं। बता दें कि चीन ताइवान पर अपना दावा करता है। गृह युद्ध के बाद 1949 में हुए विभाजन के बाद 'कम्युनिस्ट' समर्थकों ने चीन पर कब्जा कर लिया था और उसके प्रतिद्वंद्वी 'नेशनलिस्ट' समर्थकों ने ताइवान में सरकार बनाई थी।