नई दिल्ली । इस सर्जरी को वेबकास्ट किया गया। अस्पताल के डाक्टर कहते हैं कि इस वेबकास्ट के जरिये देश- विदेश के 1,791 डाक्टरों ने लाइव सर्जरी को देखा और रोबोटिक सर्जरी की तकनीक की जानकारी ली। अस्पताल के यूरोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अनूप कुमार ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ई-हेल्थ आनलाइन प्रोग्राम के तहत चार साल पहले लाइव 3डी लेप्रोस्कोपिक व रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत की गई थी। इसी क्रम में बुधवार को दो लाइव सर्जरी की गई। इसके तहत यूरिन की बीमारी से पीडि़त 45 वर्षीय पुरुष मरीज की 3डी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की गई।
वहीं किडनी के कैंसर से पीडि़त एक अन्य 50 वर्षीय मरीज की रोबोटिक सर्जरी की गई। इस प्रक्रिया में रोबोट की मदद से मरीज की कैंसर प्रभावित एक किडनी निकाल दी गई। इस सर्जरी के साथ अस्पताल में चार साल में 100 लाइव 3डी लेप्रोस्कोपिक व रोबोटिक सर्जरी पूरी हो गई। यह सभी सर्जरी डा. अनूप कुमार के नेतृत्व में हुई है। डा. अनूप का दावा है कि यह देश ही नहीं बल्कि एशिया में किसी एक डाक्टर द्वारा सबसे अधिक रोबोटिक व 3डी लेप्रोस्कोपिक लाइव सर्जरी करने का उनके द्वारा बनाया गया यह रिकार्ड है।
दरअसल गलत जीवनशैली, तनाव व शारीरिक सक्रियता कम होने से दिल की बीमारी पहले से ही गंभीर समस्या बनी हुई है। अब कोरोना के संक्रमण के कारण भी दिल की बीमारी बढ़ी है। डाक्टर कहते हैं कि दूसरी लहर में कोरोना के मध्यम व गंभीर संक्रमण से पीडि़त हुए कई लोग अब भी दिल की बीमारी से पीडि़त होकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसलिए कोरोना से ठीक हुए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। एम्स के कार्डियोलाजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. सत्यवीर यादव ने कहा कि कोरोना के संक्रमण के कारण दिल में भी सूजन (इंफ्लेमेशन) होती है। इस वजह से कई लोगों की धड़कन कम, ज्यादा या अनियंत्रित हो जाती है।
सूजन कम होने के साथ-साथ यह समस्या भी धीरे-धीरे कम हो जाती है, लेकिन गंभीर संक्रमण से पीडि़त रहे लोगों के लिए यह हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। ऐसे मामले देखे भी जा रहे हैं। इसलिए मध्यम व गंभीर संक्रमण से पीडि़त होने के बाद ठीक हो चुके लोगों को नियमित अपने दिल की जांच भी जरूर करानी चाहिए। ताकि समय पर उसका इलाज हो सके। युवाओं में भी दिक्कत आरएमएल अस्पताल के कार्डियोलाजी विभाग के विशेषज्ञ डा. बीएन पंडित ने कहा कि दूसरी लहर में अप्रैल व मई में कोरोना से संक्रमित हुए कई मरीज अब भी चेस्ट में दर्द, अनियंत्रित धड़कन व हार्ट अटैक के साथ इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
ओपीडी में हर दिन ऐसे पांच से छह मरीज पहुंचते हैं। जिसमें युवा भी शामिल होते हैं। युवाओं में दिल की बीमारी बढ़ रही है। 45 मिनट तेज पैदल चलना जरूरी डा. सत्यवीर यादव ने कहा कि दिल की बीमारियों के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कालेस्ट्रोल, धूम्रपान, मोटापा, गलत खानपान, जले हुए तेल का दोबारा इस्तेमाल व प्रदूषण दिल की बीमारी के बड़े कारण हैं।
दिल को सेहतमंद रखने के लिए हर दिन 45 मिनट तेज पैदल चलना जरूरी है। यदि प्रतिदिन संभव नहीं हो तो सप्ताह में कम से कम पांच दिन पैदल चलना जरूरी है। इसके अलावा खानपान में पौष्टिक आहार का इस्तेमाल करना चाहिए। पहले से दिल की बीमारी से पीडि़त जो लोग खून पतला करने की दवा लेते हैं उन्हें कोरोना से बचाव के लिए टीका भी जरूर लेना चाहिए।