रायपुर । छत्तीसगढ़ में 15 से 17 वर्ष आयु के 29 फीसद बच्चे व 18 से 19 वर्ष आयु से 35 फीसद किसी ना किसी रूप में तंबाकू सेवन शुरू कर देते हैं। वहीं राज्य की कुल 39.1 फीसद जनसंख्या तंबाकू सेवन करती है। ऐसे में तंबाकू मुक्त राज्य बनाने के लिए 14 नवंबर तक राजधानी समेत प्रदेश स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान शिक्षण संस्थानों के मुख्य द्वार पर तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान का बोर्ड लगवाना होगा। शिक्षण संस्थान के 100 गज़ के दायरे में तंबाकू उत्पाद की बिक्री नहीं हो यह भी सुनिश्चित किया जाएगा।अगर ऐसा होता है,तो कार्रवाई होगी।
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार जहां राज्य में वर्ष 2009-10 में 53.2 फीसद जनसंख्या तंबाकू सेवन करती थी। वहीं अब 39.1 फीसद लोग किसी न किसी प्रकार के तम्बाकू का सेवन करते हैं। जबकि देश में यह औसत 28.4 फीसद है।
अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो यह पता चलता है, कि पढ़ने की आयु में हमारी युवा पीढ़ी तंबाकू या नशीले पदार्थों की ज़द में आ रही है।अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिक्षण संस्थानों को तंबाकू मुक्त करने के साथ-साथ नई पीढ़ी को तंबाकू सेवन से होने वाले दुष्परिणाम और हानि के विषय में जानकारी भी दी जा रही है।आयु वर्ग के आधार पर शुरू हुआ तंबाकू सेवन|
सात हजार तरह के कैमिकल होते हैं तंबाकू के धुएं में जो स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं। 250 तरह के कैमिकल कैंसर का कारण बनते हैं।देश में 12 लाख से अधिक लोगों की मौत तंबाकू के किसी भी उत्पाद का सेवन करने से होता है|12 घंटे में रक्त में बड़ी कार्बन मोनो आक्साइड का स्तर घटने लगता है। तीन माह में ही हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। 20 मिनट बाद ही बढ़ी हुई धड़कनें और बीपी सामान्य होने लगती है।राज्य को तंबाकू मुक्ति की ओर आगे ले जाना है|
सर्वे के मुताबिक कम उम्र में ही बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू कर देते हैं। जिले समेत राज्य को तंबाकू मुक्त बनाने के लिए अभियान चला रहे हैं। 14 नवंबर तक चलने वाले अभियान में हमारा फोकस शैक्षणिक संस्थानों को जोड़ना और इसके बारे में जागरूक करते हुए स्वास्थ्य के लिए कितना घातक है यह बताना है। ताकि नींव को मजबूत कर राज्य को तंबाकू मुक्ति की ओर आगे ले जा सकें।