श्रीराम कथा का सातवां दिन-
कथा वाचक ने भगवान श्रीराम के वनगमन का प्रसंग सुनते हुए कहा-माता पिता की आज्ञा पालन करने वाला पुत्र भाग्यशाली
प्रभु श्री रामचंद्र जी के वनवास के प्रसंग का वर्णन किया उन्होंने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी माता पिता के आज्ञा पालन करने के लिए 14 वर्ष के लिए वन को गए। आज के युवा माता पिता के बात नहीं मानते आज्ञा पालन नहीं करते क्योंकि वह सत्संग नहीं करते। उक्त विचार शीतल मेगा सिटी फेस 1 में प्रतिदिन 12 से 4 बजे तक ही रही श्रीराम कथा के सप्तम दिवस आज कथावाचक कमलकांत महाराज ने व्यक्त किये। कथा 23 नवम्बर से 1 दिसम्बर तक महिला मंडल द्वारा आयोजित की जा रही है।
कथा वाचक कमल कांत ने आगे कहा कि आज के बच्चे
रामचरितमानस का पाठ नहीं करते इस कारण वह संस्कार से दूर हैं। श्री रामकथा हम सबको यह शिक्षा प्रदान करती है, हम सबको इसका पालन करना चाहिए यही सच्चा मानव जीवन का लक्ष्य है।
श्री राम विवाह संपन्न निकली राम बारात-
वहीं श्रीराम कथा में छठवें दिवस श्रीविवाह पंचमी के पावन पर्व पर आज कथा में भव्य श्री सीताराम जी का विवाह संपन्न हुआ। जिसमें महाराज श्री ने जनकपुर के सुंदर प्रसंग का वर्णन किया कथा व्यास ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी अपने गुरु विश्वामित्र के चरण सेवा की अर्थात हम सब को भी यह शिक्षा लेकर के गुरु का सम्मान करें।भाई भाई के प्रेम का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि लक्ष्मण बड़े भाई के चरण दबाकर सेवा किया करते थे।आज यह संसार में थोड़े से धन के लिए थोड़े से जमीन के लिए भाई भाई में झगड़ा होता है गृह क्लेश होता है अर्थात हम सबको इस रामकथा से शिक्षा लेकर घर परिवार भाई भाई में प्रेम स्नेह बनाना चाहिए मराठी ने बताया कि विवाह माता पिता के आज्ञा से ही होना चाहिए सीता और राम जी ने यह करके बताया है आज लोग अपनी इच्छा से विवाह कर लेते हैं और बाद में जीवन भर रोते रहते हैं विवाह जीवन का बंधन है पति और पत्नी दो शरीर है लेकिन आत्मा एक ही है।