संतों के सदविचार बदल सकते हैं हमारा जीवन

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 जयंती • पंढरीनाथ मंदिर में संत भूरा भगत की जयंती मनाई, सभी ने सोशल डिस्टेंस पालन करते हुए आयोजन किया


संतों के सदविचार बदल सकते हैं हमारा जीवन - बिल्लोरे



हरदा। संत भूरा भगत के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए।


हरदा - संत कभी भी किसी जाति, धर्म या समाज का नहीं होता है, वह पूरी मानव समाज का होता है। जिसकी बेहतरी के लिए वह उनका समय समय पर मार्गदर्शन करता है। कोई भी व्यक्ति संतों की बातें, विचार यदि अपने जीवन में अपना लें तो उनका जीवन बदल सकता है। यह बात समाजसेवी हुकुम बिल्लोरे ने कही। वे अन्नापुरा में स्थित पंढरीनाथ मंदिर में कतिया गौरव परिवार द्वारा भूरा भगत जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संत के पास जीवन दर्शन और दूरगामी सोच होती है। वे कई बार हमें समय से पहले ही संकेतों के रुप में आगाह भी कर देते हैं। यदि इन बातों को गंभीरता से माने और अपने आचरण में लाएं तो हमारा जीवन सुधर सकता है।


           सामाजिक कार्यकर्ता अनिल भवरे ने कहा कि संत समाज के भावी निर्माता होते हैं। उनके श्रेष्ठ अनुभवों व उपदेशों से समाज में मानव मूल्य स्थापित किए जाते हैं। सामाजिक लोग उनका अनुसरण कर अपने जीवन में अच्छे काम के प्रति प्रेरित होता है। साथ ही ऐसा व्यक्ति सदकर्म करते हुए मानवता और विश्वबंधुत्व की कामना से प्रकृति से अनुकूल व्यवहार करना सीखता है।


           कमलेश बिल्लोरे ने कहा कि किसी भी समाज की सांस्कृतिक उन्नति और सर्वांगीण विकास में संतों का बड़ा योगदान होता है। विद्वान उस समाज के कार्य व्यवहार और आचरण से उस समाज के अग्रज संत महात्माओं के त्याग तप और मानव कल्याण का आकलन कर लेते हैं। उन्होंने तेजी से बदलते परिवेश में नई पीढ़ी को संतों के उपदेशों व उनके आचरण के बारे में बताने की जरूरत पर जोर दिया।


        सुनील चावडा ने कहा कि संतों के चित्र नहीं चरित्र पूजे जाना चाहिए। इससे समाज को सही दिशा मिले और उसकी दशा बदले। हमें संतों का सानिध्य प्राप्त करना चाहिए। इससे हमारा आने वाला कल बेहतर बने। हेमराज दमाड़े व अन्य ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखा गया।


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