आर्थिक संजीवनी बना ग्रामीणों के लिए तेंदूपत्ता
300 गांव के 18,906 ग्रामीणों ने 9दिन में तोड़ा 5 करोड़ 64 लाख की राशि का 22, 636 मानक बोरा तेंदूपत्ता,
बीते वर्ष 17000 की तुलना में 5636 मानक बोरा अधिक पत्ता तुड़वाकर औबेदुल्लागंज वन मंडल लक्ष्य से कहीं आगे निकला,
मंडीदीप। वैश्विक त्रासदी कोरोना के चलते लॉकडाउन लगने से जब उद्योग धंधे पूरी तरह से बंद थे, और रोजगार का कोई साधन नहीं था । तब ऐसे में वन विभाग की तेंदूपत्ता संग्रहण योजना 300 से अधिक ग्रामीणों के लिए आर्थिक संजीवनी बनी । इस योजना ने भले ही ग्रामीणों को 9 दिन का रोजगार दिया हो परंतु इतने कम समय में ग्रामीणों ने इतना पैसा तो कमा ही लिया कि वे बरसात के 4 महीने में घर बैठे ही आसानी से अपने परिवार का भरण पोषण कर सकेंगे ।
इस बार औबेदुल्लागंज वन मंडल के अंतर्गत आने वाले 300 से अधिक गांव के ग्रामीणों ने तेंदूपत्ता तोड़कर जमकर कमाई की। इन गांव के 18,906 तेंदूपत्ता संग्राहकों ने सिर्फ 9 दिनों में ही 22,636 मानक बोरा तेंदूपत्ता तोड़ा। जिससे उनके खाते में 5 करोड़ 64 लाख की राशि आई। इससे एक और जहां ग्रामीणों को संकट के समय रोजगार मिला तो वही वन मंडल अधिकारियों ने विभाग द्वारा दिए गए निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति की।
औबेदुल्लागंज वन मंडल को इस बार 19,100 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण करवाने का लक्ष्य मिला था। इसके लिए मंडल अधिकारियों ने 15 मई से तेंदूपत्ता तुड़वाई का कार्य प्रारंभ करवाया था। जो अच्छी फसल और मौसम के सही मिजाज से 24 मई तक अर्थात मात्र 9 दिनों में ही निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 3,536 मानक बोरा अधिक पत्ता संग्रहण करवाने में सफल रहे। मंडल ने यह लक्ष्य 167 फड़ समितियों के माध्यम से पूरा किया।वहीं विभाग की लक्ष्य पूर्ति में 300 से अधिक गांव के 18 हजार 906 संग्राहक श्रमिक सहायक बने। इन्हें मंडल द्वारा ढाई रुपए प्रति गड्डी( 50 पत्ते) के मान भुगतान किया गया।
भोजपुर समिति ने टारगेट की तुलना में 154% अधिक पत्ता तोड़ा:
मंडल के एसडीओ उपेंद्र धाकड़ ने बताया कि 167 फड़ समितियों में से भोजपुर समिति सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अब्बल रही । उसे 900 मानक बोरे का लक्ष्य दिया गया था। जिसके मुकाबले समिति ने 1400 मानक बोरा पत्ता संग्रहण किया।
बमोरी समिति में गया सबसे अधिक पैसा:
एसडीओ धाकड़ बताते हैं कि बमोरी समिति के तेंदूपत्ता संग्रहण श्रमिकों ने सबसे अधिक मेहनत की। इस समिति के अतंर्गत आने वाले 22 गांव के 1285 संग्रहकों ने 2 हजार 888 मानक बोरा पत्ता संग्रहण किया। जिससे इस समिति के ग्रामीणों के खाते में 72 लाख 20 हजार रुपए पहुंचे। इस तरह यहां के ग्रामीणों को लॉकडाउन में तेंदूपत्ता जीविकोपार्जन का बड़ा स्रोत बना।
तेंदूपत्ता संग्रहण योजना बड़ी संख्या में दे रही रोजगार:
वैसे तो विभाग द्वारा कई सालों से यह योजना संचालित की जा रही है। परंतु पिछले 2 सालों से यह योजना वन मंडल के अंतर्गत आने वाले करीब 400 गांव के लोगों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है ।इसका कारण बीते 2 वर्षों से रोजगार पर लॉकडाउन लगने से अधिकांश मजदूर अपने गांव की ओर पलायन कर लौट आए हैं लेकिन गांव में रोजगार का कोई साधन नहीं मिला ऐसे में यह योजना ग्रामीणों के साथ शहर से बेरोजगार होकर लौटे लोगों के लिए कमाई का बड़ा माध्यम बन रही है । इसका पता इस बात से भी चलता है कि जहां इस वर्ष इस योजना के अंतर्गत 5करोड़ 64 लाख का भुगतान किया गया । जबकि पिछली साल मंडल ने 5 करोड़ 50लाख की राशि का तेंदूपत्ता संग्रहण किया था।
इनका कहना है-
इस बार हम लक्ष्य के मुकाबले 3 हजार 536 मानक बोरा अधिक तेंदूपत्ता संग्रहण कराने में सफल रहे । इसके लिए विभाग ने 18906 संग्रहण श्रमिकों को 5 करोड़ 64 लाख की राशि भी बांटी।
विजय कुमार, डीएफओ वन मंडल औबेदुल्लागंज