निवेश की राह में कोरोना ने अटकाया अड़ंगा,थाईलैंड और ब्राजील की दो कंपनियां प्लास्टिक पार्क में करने वाली थी करीब 300 करोड़ का निवेश

0

 300 करोड़ के निवेश पर कोरोना का साया 

निवेश की राह में कोरोना ने अटकाया अड़ंगा,थाईलैंड और ब्राजील की दो कंपनियां प्लास्टिक पार्क में करने वाली थी करीब 300 करोड़ का निवेश 

एमपीआईडीसी अधिकारियों की उम्मीदों पर फिरा पानी,

 मंडीदीप। तामोट स्थित प्लास्टिक पार्क में करीब आधा दर्जन कंपनियां निवेश करने की तैयारी कर रही थी ́। इनके द्वारा करीब 300 करोड़ से अधिक का निवेश किया जना था । अपनी निवेश की इस मंशा से इन कंपनियो ́ने एमपीआईडीसी को अवगत भी करा दिया था, परंतु वैश्विक कोरोना महावारी ने इन कंपनियों द्वारा किए जाने वाले निवेश की राह में रोड़ा अटका दिया। जिससे फिलहाल तो निवेश में अड़ंगा लगता दिख रहा है। हालांकि एमपीआईडीसी अधिकारी उन कंपनियों के संपर्क में है और अभी भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है। 

ज्ञात है कि नगर के समीपस्थ  ग्राम तामोट में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014 में प्लास्टिक पार्क का निर्माण कराया गया था। इसे राज्य सरकार ने एमपीआईडीसी के माध्यम से विकसित कर आया है। करीब 97 हेक्टेयर में विकसित किए गए पार्क के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर लगभग 108 करोड की राशि खर्च की गई है। 97 हेक्टेयर में फैले इस पार्क में 154 प्लॉट आरक्षित किए गए हैं। जिनमें से पिछले 7 सालों में मात्र 13 प्लॉट ही  बिक पाए हैं। देश के दूसरे सबसे बड़े प्लास्टिक पार्क में प्लास्टिक निर्माता कंपनियों को ही संचालित करवाया जाना है। पार्क के विकसित होने के बाद अब तक यहां सिर्फ आठ कंपनियां ही स्थापित हो पाई है। जिन्होंने लगभग 10 से 15 करोड़ का निवेश किया है। एस एम एस ई  स्केल वाली इन कंपनियों द्वारा फिलहाल 100 लोगों को ही  रोजगार  दिया गया है । 

तो खुलते रोजगार के अवसर: 

एमपीआईडीसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 2 वर्ष पूर्व ब्राजील और थाइलैंड की दो बड़ी कंपनियों के साथ 5-6 कंपनियों ने तामोट मे ́ यूनिट लगाने का मन बनाया था। इनमें मुख्य रूप से ब्राजील 250 करोड़ और थाइलैंड की शीशा नामक कंपनी 50 करोड़ का निवेश करने की उम्मीद थी।  ब्राजील की कंपनी ने जहां 27 एकड़ और थाइलैंड की कंपनी ने 10 एकड़ जमीन की मांग की थी। इन कंपनियों द्वारा वर्ष 2019 में बरसात बाद एमपीआईडीसी के साथ  करार किया जाना था। परंतु निवेश की राह आगे बढ़ती इससे पहले ही कोरोना ने दस्तक दे दी। और निवेश का मामला ठंडे बस्ते के हवाले हो गया । निगम अधिकारियों का मानना है कि यदि समय रहते सब कुछ ठीक-ठाक हो जाता तो ना केवल पार्क में बड़ी संख्या में निवेश होता बल्कि सैकड़ों युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो जाते।

पार्क की राह में आ रहे एक के बाद एक आडंगे:

बता दें कि केन्द्र सरकार की ओर से स्पेशल परपज वीकल (एसपीवी)  के अंतर्गत बनाए जा रहे इस पार्क में एक के बाद एक आडंगे आने से एक और जहां पार्क पूरी तरह से विकसित नहीं हो पा रहा है वहीं दूसरी ओर युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। पहले जहां पार्क के प्रारंभ में भूमि को लेकर राजस्व और वन विभाग में विवाद शुरू हो गया था। विवाद का मुख्य कारण कलेक्टर द्वारा 9 साल पहले उक्त जमीन को राजस्व भूमि घोषित किया था। इस पर वन विभाग का कहना था कि पार्क के लिए प्रस्तावित भूमि में से 76 हेक्टेयर भूमि पर आरक्षित वन है ऐसे में वन कानून के अनुसार उक्त भूमि को केन्द्र की अनुमति के बगैर राजस्व को नहीं दिया जा सकता। इस पर आपत्ति जताते हुए वन विभाग द्वारा कमिश्नर भोपाल संभाग को अपील की गई थी। तब  सीएम शिवराज सिंह चौहान के हस्तक्षेप करने के बाद मामला जैसे तैसे सुलझा था। फिर इसके बाद पार्क में आरक्षित प्लॉट की कीमतों ने निवेशकों का मोहभंग कर दिया। तब फिर तत्कालीन पर्यटन राज्यमंत्री सुरेंद्र पटवा एवं उद्यमियों की मांग पर एकेवीएन द्वारा प्लॉट की कीमतें कम की गई। परंतु इसके बाद भी निवेशक यहां निवेश करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। और अब नया रोड़ा कोरोना ने अटका दिया है ।यही कारण है कि बीते 7 सालों में सिर्फ 13 प्लॉट ही बेचे जा सके।

इनका कहना है

थाईलैंड और ब्राजील की दो कंपनियां लगभग 300 करोड़ का निवेश करने वाली थी परंतु कोरोना के कारण उन्होंने निवेश करने से मना कर दिया है फिर भी हम निरंतर उनके संपर्क में है ।हमें उम्मीद है कि स्थितियां सुधरने के बाद  यह कंपनियां निवेश का मन बनाएंगी।

एमके वर्मा, जीएम एमपीआईडीसी भोपाल

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !