एक शिक्षक की मेहनत रंग लाई पहाड़ी पर हरियाली लह लहाई
सतलापुर के खेड़ापति मंदिर में 450 पेड़ प्रतिदिन दे रहे 41 लाख 40,000 की निशुल्क ऑक्सीजन ,
यह पेड़ प्राणवायु देने के साथ ही ग्रीन हाउस गैसों को भी अवशोषित करने में निभा रहे महत्वपूर्ण भूमिका
मंडीदीप। कोरोना कहर के बीच इन दिनों ऑक्सीजन का भारी संकट हो गया है। तिगुने, चार गुने यहां तक कि मनमाने दाम देने पर भी लोगों को एक ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल पा रहा, लेकिन यही ऑक्सीजन हमें जिंदगी भर मुफ्त देने वाले पेड़ों का महत्व हमने कभी नहीं समझा। आज हम आपको ऐसी एक तस्वीर दिखा रहे हैं जो बताएगी कि पौधों पर किया गया इंवेस्टमेंट कैसे आपकी जिंदगी बचा सकता है और करोड़ों रुपए की ऑक्सीजन बिल्कुल मुफ्त दिलवा सकता है।यह तस्वीर उद्योग नगरी के वार्ड 15 खेड़ापति माता मंदिर सतलापुर की है जहां एक शिक्षक ने 14 साल पहले पहाड़ी पर पौधे लगाने की जिद की थी। उनकी यह जिद रंग लाई और करीब डेढ़ दशक पहले रोपे गए पौधे अब पेड़ बनकर लहलहा रहे हैं। यह पेड़ ना केवल लोगों को निशुल्क ऑक्सीजन दे रहे हैं बल्कि वायु मंडल में फैली ग्रीन हाउस गैसों को भी अवशोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इतना ही नहीं यह पेड़ प्रतिदिन 41 लाख 40 हजार कीमत की प्राणवायु भी दे रहे हैं।बता दें कि पर्यावरण प्रेमी शासकीय शिक्षक एवं मंदिर के पुजारी पंडित राजेंद्र शर्मा ने वर्ष 2007 में यहां पौधे लगाने की शुरुआत की थी। उस समय 5 एकड़ में फैले इस मंदिर परिषद में एकमात्र पेड़ था तब उन्होंने इस परिसर को हरियाली की चादर उड़ाने की जिद की। जो अब 450 पेड़ लह लहाने के साथ पूरी हो गई है। इसके लिए ट्यूबवेल भी लगवाया।बच्चों की तरह इनकी देखभाल की। सुरक्षा के लिए तीन फीट के टी गार्ड लगाए। नतीजा, सभी पौधे पनप गए। उनका अधिकांश समय पेड़ पौधों को पानी देने और इनकी सुरक्षा करने में व्यतीत होता है। अब वे अन्य लोगों को भी पेड़ पौधे लगाने प्रेरित करने के अभियान में जुटे हुए हैं।
एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन होती है ढाई हजार लीटर ऑक्सीजन की आवश्यकता:
सिविल अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर शलभ तिवारी बताते हैं कि एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति को पूरे 24 घंटे में करीब ढाई हजार लीटर ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जबकि हमारे पास जो मरीज अस्पताल में भर्ती हैं उन्हें प्रति मिनट 5 से 7 लीटर यानी 24 घंटे में 7200 लीटर ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही है। वे बताते हैं कि एक स्वस्थ्य व्यक्ति को हर दिन सांसों के लिए 11 पेड़ों की मदद से ऑक्सीजन मिलती है। इस मान से नगर की करीब डेढ़ लाख की आबादी को प्राणवायु लेने के लिए करीब 16 लाख 50 हजार पेड़ होने चाहिए, परंतु नगर में बमुश्किल एक लाख पेड़ ही है। जो कि पर्यावरण मानकों के अनुसार भारी कम संख्या में है। ऐसे में आप खुद तय कर लीजिए कि भविष्य में आप सिलेंडर के लिए कतार में लगना चाहते हैं या पेड़ों की कतार खड़ी करना चाहते हैं।पर्यावरणविद सुभाष सी पांडेय का कहना है कि पेड़ हमें प्राणवायु तो देते ही है इसके अलावा वे कार्बन और अन्य ग्रीन हाउस गैसों को भी अवशोषित करने में महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं। इन दोनों कोरोना काल में ऑक्सीजन की किल्लत ने सभी को पेड़ों की महत्ता समझा दी है अब आवश्यकता है कि लोग अधिक से अधिक पेड़ लगाकर सांसो का कर्ज निभाए।