एक ज्ञान जो अब विलुप्तता के कगार पर है

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 एक ज्ञान जो अब विलुप्तता के कगार पर है।

              ०--बाबूलाल दाहिया

 (आदरणीय दहिया जी राष्ट्रपति द्वारा पद्मभूषण से विभूषित हैं फेसबुक पर भी आप इनके ज्ञान अनुभव का लाभ ले सकते हैं।)



              हमारी खेती आठ दश हजार साल पुरानी है जो लकड़ी और हड्डी से जमीन खुरच कर बीज बोने से शुरू हुई तो क्रमिक विकास में बैल के जुताई तक आते हुए ट्रेक्टर तक पहुच गई।

             कितना अच्छा होता कि बिज्ञान  द्वारा बनी छोटी मसीनो से श्रमिको और बैलों के काम के घण्टो में कमी  आती एवं ज्यादा मेहनत का काम मसीन से होता व शेष बैल और श्रमिको से  जिससे पर्यावरण पर भी कोई विपरीत प्रभाव न पड़ता व गाय बैल भी हमसे दूर न होते? 

        किन्तु  मसीने पूजी पतियो की गुलाम बन गई और श्रमिक तथा बैल खेत से ही बाहर हो गए। 

         हमारे लोक जीवन य लोकविद्याधर समाज में पहले एक बहुत बड़ा ज्ञान बैलों के गुण दोषों से सम्बंधित था । पर  वह ज्ञान अब पूरी तरह से   लोक मानस से अलग होकर अविष्मरण के गहरे गर्त में चला गया । क्योकि उसकी अब नई पीढ़ी को जरूरत ही नही।

      लेकिन अब उसका उसी तरह प्रलेखी करण होना आवश्यक है जैसे हम पुरा सम्पदा को संरक्षित करते है ।

                 बैलों के गुण दोष की कुछ कहावते यहां समीचीन होगी जो हिंदी के अर्थ के साथ प्रस्तुत है।

1--     बैल बेसाहे बच्छा ।

            दिन दिन होय अच्छा ।।

    " बैल कम अवस्था का खरीदना चाहिए जो दिन प्रति मोटा तगड़ा होता जाए और लम्बे समय तक अपनी सेवा दे"

2--     बैल अगोतर  ।

          भैस पछोतर ।।

  ---    बैल वह खरीदना चाहिए जिसका सीना चौड़ा हो पर भैस वह खरीदना अच्छा रहता है जिसका शरीर का  पिछ्ला हिस्सा परिपुष्ट हो।

3 --खखरी भुंड़ी बेच के बैल साड दुइ लेय।

आपन काम साम्हर के औरहु मंगनी देय।।

   ---छोटे छोटे कई बैलों के बजाय दो मोटे तगड़े बैल  रखना अधिक लाभ प्रद है कि अपना काम पूरा कर ले और  जरूरत पड़ने पर दूसरे की भी मदद की जा  सके।

4 --कारी कछोटी झाये कान ।

        इनहि छाड़ मत लीजै आन।।

  ---अगर बैल के पूछ के आस पास की चमड़ी का रंग काला हो और कान छोटे तथा मुड़े से हो तो ऐसे बैल 

   बगैर देरी किये खरीद लेना चाहिए।

5 --बड़ सिंघा मत लीजै मोल।

   कुआ में डालो रुपिया खोल ।।

    ---  बड़े सीग बाले बैल को कभी नही खरीदना चाहिए  । ऐसे बैल को खरीद ने के बजाय रुपिया कुए में 

 डाल देना अच्छा है।

6 -- करिया बरदा जेठ पूत।

     बडी भाग मा होंय सपूत।।

 --काले रंग का बैल और जेठा पुत्र यह किसी भाग्यशाली के ही सपूत होते है।

      इस तरह अनेक ऐसी कहावते थी 

  जो किसानों के लिए दिशा निर्देशक होती थी। पर अब जब गाय बैल ही घर से निष्काशित है तो यह कहावते भी औचित्य हींन सी हो गई है।

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