श्रद्धालु त्रिवेणी में डुबकी लगाकर पूर्वजों की आत्मा शांति की प्रार्थना भी कर रहे हैं


प्रयागराज। पितृ मोक्ष अमावस्या यानि पितृ विसर्जन के मौके पर तीर्थ राज प्रयाग में पूर्वजों की आत्मा की शान्ति और मुक्ति के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु संगम नगरी में पहुंचकर पूर्वजों का पिण्डदान और तर्पण कर रहे हैं। इसके साथ ही श्रद्धालु त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना भी कर रहे हैं। सनातन हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष में पिंडदान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में पूर्वजों को किये गए पिंडदान का फल उन्हें प्राप्त होता है और मोक्ष मिलता है। हिन्दू धर्म में पिंडदान प्रयाग, काशी और गया में ही होता है, लेकिन पितरों के श्राद्ध कर्म की शुरुआत प्रयाग के संगम तट पर मुण्डन संस्कार से ही होती है। श्रद्धालु यहां मुंडन कराकर सत्रह पिंड तैयार करते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद उसे संगम में विसर्जित करते हैं।
  तीर्थ पुरोहित पंडित महेंद्र मिश्रा और विशाल शर्मा बताते हैं कि ऐसी भी मान्यता है कि पितृ पक्ष में संगम में पिंडदान करने से पितृ ऋण से भी मुक्ति मिलती है। तीर्थ पुरोहितों के मुताबिक पितृ अमावस्या के मौके पर संगम में केश दान कर पिंडदान करने से गया में पिण्डदान के बराबर ही पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन पितृ पक्ष में धरती पर आये पितरों को याद कर उन्हें विदाई दी जाती है। इस दिन का इतना बड़ा महत्व है कि यदि पूरे पितृ पक्ष में कोई पितरों का तर्पण नहीं कर सका है तो इस दिन पितरों को याद कर दान करने और गरीबों को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि पितृ अमावस्या के दिन दान करना फलदायी होता है और इस दिन दान करने से राहु के दोष से भी मुक्ति मिलती है। पितृ अमावस्या के बाद कल से दोबारा मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे।