राजस्थान | सरकार ने छत्तीसगढ़ से राज्य में अपने दो कोयला ब्लाकों के विकास में तेजी लाने को कहा है, ताकि बिजली उत्पादन में मदद मिल सके। इस संबंध में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले महीने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखा था। गहलोत पत्र में बघेल से 2015 में उनके राज्य को आवंटित दो कोयला ब्लाकों के विकास में बाधाओं को दूर करने का आग्रह किया गया था। राजस्थान के कुछ हिस्सों में सितंबर और अक्टूबर में बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों में कोयले का स्टाक कम होने के बाद कई घंटों की बिजली कटौती देखी गई थी। 2015 में केंद्र सरकार ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरवीयूएनएल) को छत्तीसगढ़ में तीन कोयला ब्लाक आवंटित किए थे, लेकिन उनमें से केवल एक ही उत्पादन शुरू करने में सक्षम है। अन्य दो ब्लाक देरी में फंसे हैं। आरवीयूएनएल परसा ईस्ट और कांता बसन ब्लाक से 15 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करता है और अन्य परसा और कांटे एक्सटेंशन ब्लाकों के खुलने से उत्पादन दोगुना हो जाएगा।
परसा में इतने टन कोयले के उत्पादन की है क्षमता
गहलोत ने पत्र में कहा कि परसा कोयला ब्लाक में प्रति वर्ष 50 लाख टन कोयले का उत्पादन करने की क्षमता है। इसी तरह केंटे एक्सटेंशन सालाना 90 लाख टन अतिरिक्त दे सकता है। उन्होंने परसा और कांटे एक्सटेंशन ब्लाक के लिए आवश्यक मंजूरी के लिए बघेल के हस्तक्षेप की मांग की। वन मंजूरी चरण- II के लिए केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय ने अप्रैल 2019 में छत्तीसगढ़ सरकार को परसा ब्लाक का जैव विविधता मूल्यांकन अध्ययन करने और अपनी सिफारिशें देने के लिए कहा था। उन्होंने लिखा कि अध्ययन छत्तीसगढ़ प्रशासन द्वारा प्राप्त किया गया है. लेकिन यह पर कार्रवाई नहीं की गई है। कांटे एक्सटेंशन प्रखंड के लिए सरगुजा के जिला अधिकारी ने पर्यावरण मंजूरी के लिए जरूरी जनसुनवाई को दो बार टाल दिया।
गहलोत का बघेल से आग्रह
गहलोत ने बघेल से आग्रह किया कि वे परसा प्रखंड के लिए वन मंजूरी की अनुशंसा केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय को भेजें और जिला अधिकारी से कांटे विस्तार प्रखंड के लिए जल्द से जल्द जनसुनवाई करने को कहें।
बिजली उत्पादन परिसंपत्तियों में राजस्थान के 40,000 करोड़ रुपये के निवेश का भाग्य इन ब्लाकों में कोयला उत्पादन पर निर्भर करता है। वर्तमान में राजस्थान बिजली पैदा करने के लिए आयातित ईंधन के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी स्वामित्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) पर निर्भर है। सीआइएल से कोयले की आपूर्ति में व्यवधान के साथ-साथ आयातित कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी ने आरवीयूएनएल को अपने कैप्टिव ब्लाकों से ईंधन सुरक्षित करने के लिए प्रेरित किया था। राजस्थान में करीब 28,400 मेगावाट स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता है। जहां आरवीयूएनएल को केंद्र सरकार से परसा कोयला ब्लाक में खनन शुरू करने के लिए वन मंजूरी मिली थी, वहीं कांटे एक्सटेंशन का विकास अभी भी अटका हुआ है, क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार जनसुनवाई नहीं कर पाई है।
पत्र में लिखी ये बातें
गहलोत के अलावा राज्य के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने पहले अपने छत्तीसगढ़ समकक्ष अजय सिंह को कांटे एक्सटेंशन कोयला ब्लाक के लिए जल्द से जल्द जन सुनवाई की व्यवस्था करने के लिए लिखा था। आर्य ने 10 सितंबर को लिखा था कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि आवंटित कांटे विस्तार खदान से जुड़ी परियोजना को कोयले की आपूर्ति जल्द से जल्द शुरू की जाए, ताकि राज्य की बिजली की मांग और उपलब्धता के बीच की खाई को पाट दिया जा सके। इन पत्रों से पहले गहलोत ने सात अक्टूबर, 2020 को बघेल को पत्र लिखकर कहा था कि उनके राज्य ने थर्मल पावर स्टेशनों में 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। उन्होंने लिखा था कि छत्तीसगढ़ के हसदेव अरंड कोलफील्ड में परसा और कांटे एक्सटेंशन वर्तमान के साथ-साथ आगामी आरवीयूएनएल पावर स्टेशनों की अधिकांश कोयला आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और राज्य के लिए बिजली उत्पादन के लिए कोयले की निर्बाध आपूर्ति के रूप में ईंधन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। गौरतलब है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों ही कांग्रेस शासित प्रदेश हैं।